आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास की नियुक्ति से जुड़ी जानकारियां देने से सरकार ने किया इनकार

आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास से जुड़ी यह जानकारी RTI के तहत मांगी गयी थी :



सूत्रों के मुताबिक यह आरटीआई समाचार एजेंसी पीटीआई के एक पत्रकार ने वित्तीय सेवा विभाग के समक्ष लगाई थी। साथ ही इसमें आरबीआई के गवर्नर पद की रिक्ति से जुड़े विज्ञापन, इस पद के लिए आए सभी आवेदकों के नामों के अलावा उनमें से छांटे गए नामों का ब्यौरा पूछा था। इसके अलावा आवेदकों को छांटने वाली खोज समिति और गवर्नर का नाम तय करने के लिए हुई बैठक की जानकारी भी मांगी गई थी। 


इसके जवाब में इस विभाग ने कहा कि आरबीआई के गवर्नर का चयन मंत्रिमंडल की नियुक्ति समिति ने फाइनेंशियल सेक्टर रेगुलेटरी अपॉइन्मेंट सर्च कमेटी की सिफारिश पर किया है। इसके अन्य सदस्यों में प्रधानमंत्री, प्रधान सचिव, संबंधित विभाग के सचिव और उनके अलावा तीन बाहरी विशेषज्ञ भी शामिल थे। इसके बाद वित्तीय सेवा विभाग ने वह आरटीआई कैबिनेट सचिवालय के पास आगे बढ़ा दी थी।


इस पर कैबिनेट सचिवालय ने आरटीआई कानून की धारा आठ (1) (आई) का हवाला देते हुए इस नियुक्ति से जुड़ा ब्यौरा साझा करने से इनकार कर दिया। साथ ही यह भी कहा कि यह धारा उसे मंत्रिपरिषद्, सचिवों और अन्य अधिकारियों के बीच हुए विचार-विमर्श और नोटिंग का खुलासा नहीं करने की छूट देती है, साथ ही उसे ऐसा करने से रोकती भी है। 


गौरतलब है कि अपना कार्यकाल पूरा होने से पहले ही आरबीआई के पूर्व गवर्नर उर्जित पटेल ने दिसंबर 2018 में अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। जिसके बाद पूर्व नौकरशाह और आर्थिक मामलों के सचिव रहे शक्तिकांत दास को वह पद सौंपा गया था। यहां एक खास बात यह भी है कि इस केंद्रीय बैंक के पूर्व गवर्नरों की तरह शक्तिकांत दास कोई अ​र्थशास्त्री नहीं हैं।  इसके अलावा नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली सरकार के नोटबंदी जैसे विवादित फैसले का उन्होंने समर्थन भी किया था। 


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