शहीदों को नमन

3 साल के मासूम ने जब पुलवामा में शहीद हुए पिता को मुखाग्नि दी


पुलवामा चरमपंथी हमले की ज़िम्मेदारी चरमपंथी संगठन जैश ए मोहम्मद ने ली है।


 इस आत्मघाती हमले के ज़िम्मेदार 21 साल के आदिल अहमद थे। आदिल अहमद पुलवामा के पास ही गुंडीबाग के रहने वाले थे और कहा जा रहा है कि पिछले साल ही वो जैश ए मोहम्मद में शामिल हुए थे। आत्मघाती हमला जिस जगह हुआ वो राजधानी श्रीनगर से दक्षिण में लगभग 25 किलोमीटर दूर है और अगर आदिल के गांव की बात करें तो घटनास्थल से ये तकरीबन 15 किलोमीटर दूर है।


     पाकिस्तान के जियो समाचार चैनल से बातचीत में पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद क़ुरैशी ने कहा है कि वह इसकी निंदा करते हैं और हिंसा उनके देश का रास्ता नहीं है। उन्होंने कहा, "ये जो घटना हुई है उसकी मैं निंदा करता हूं. मैं समझता हूं कि हिंसा न हमारा रास्ता था और न है." क़ुरैशी ने कहा कि यह उनकी सरकार की नीति नहीं है।


3 साल के मासूम ने जब पुलवामा में शहीद हुए पिता को मुखाग्नि दी तो जैसे पत्थर के दिल भी मोम हो गए। आंसुओं का सैलाब बांध तोड़ कर बह निकला। ऐसी तस्वीरें देश के कई गांवों, कई शहरों से आईं और दिल छलनी कर गईं। शहीदों के परिजनों की वेदना, उनका दुख, इस देश का सांझा दुख है। इस कठिन घड़ी में पूरा देश शहीदों के परिजनों के साथ मजबूती से खड़ा है। फर्ज की राह में सर्वोच्च बलिदान देने वाले वीरों को श्रद्धांजलि...


तमिलनाडु के कन्याकुमारी में प्रधानमंत्री मोदी  ने विपक्ष पर जमकर हमला बोला. कन्याकुमारी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक रैली में कहा, 'कुछ पार्टियों ने मोदी से नफरत करते-करते देश से नफरत करना शुरू कर दिया. हैरानी की बात नहीं, जब सारा देश हमारी सेनाओं का समर्थन कर रहा था, उन्हें सशस्त्र बलों पर संदेह था. दुनिया आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत का समर्थन कर रही है, लेकिन कुछ पार्टियों को आतंकवाद के खिलाफ हमारी लड़ाई पर शक है.' पीएम मोदी ने कहा कि ये वही लोग हैं, जिनके बयान पाकिस्तान की मदद कर रहे हैं और भारत को नुकसान पहुंचा रहे हैं।  ये वही लोग हैं, जिनके बयानों को खुशी-खुशी पाकिस्तान की संसद और रेडियो ऑफ पाकिस्तान में दोहराया जा रहा है।  मैं उनसे पूछना चाहता हूं - क्या आप अपने सशस्त्र बलों का समर्थन करते हैं, या उन पर संदेह करते हैं...?"


        कांग्रेस समेत देश के 21 विपक्षी दलों ने पाकिस्तान के बालाकोट में आतंकी शिविर पर भारतीय वायुसेना (IAF) की कार्रवाई की तारीफ करते हुए आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में सशस्त्र बलों के साथ खड़े रहने की बात कही।  हालांकि उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि पुलवामा हमले के बाद सत्ताधारी दल के नेताओं ने जवानों के शहादत का राजनीतिकरण किया जो गंभीर चिंता का विषय है।  बता दें कि भारत और पाकिस्तान सीमा पर तनावपूर्ण हालात के बीच कांग्रेस और कई अन्य विपक्षी दलों ने दिल्ली में बैठक की. बैठक के बाद जारी संयुक्त बयान में पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित आतंकवाद की निंदा की गई।  विपक्षी दलों ने कहा कि वे आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक लड़ाई में अपने सशस्त्र बलों एवं सेना के प्रति एकजुटता का संकल्प दोहराते हैं। 


भारत और पाकिस्तान के बीच जारी तनाव के बीच एक बार फिर से ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लमीन (एआईएमआईएम) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान को खरी-खोटी सुनाई है. असदुद्दीन ओवैसी ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान द्वारा असेंबली में दिए गए बयान को लेकर उन पर हमला बोला और स्पष्ट लहजे में कहा कि वे एटम बम की बात न करें. क्योंकि हमारे पास भी एटम बम हैं. उन्होंने यह भी कहा कि आप अजीब-अजीब बातें करना बंद करिए और जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयब्बा को खत्म कीजिए. 


शनिवार को एआईएमआईएम प्रमुख ओवैसी ने पाकिस्तानी पीएम इमरान खान को दो टूक में कहा कि 'पाकिस्तान के वजीर-ए-आजम टीपू सुल्तान की बात किए। ओ हो अब्बा. टीपू सुल्तान हिंदुओं के दुश्मन से नहीं थे।  वह उनके सल्तनत के दुश्मन थे, चाहे हिंदू हो या कोई मजहब के हों।  जरा ये भी पढ़ लो. आप अपनी असेंबली में बैठकर टीपू सुल्तान और बहादुर शाह जफर की बात करते हैं. ये अजीब अजीब बातें करते हैं. एटम बम, फुलां बम... यहां नहीं है? यहां नहीं है क्या? मगर क्या बात है. आप जरा जैश-ए-शयातीन और लश्कर-ए-शयातीन को खत्म करो। '


प्रधाानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश से किया अपना वादा निभाया। पुलवामा हमले के बाद भारतीय सेना और वायुसेना ने जवाब दिया। एक हजार किलो के बम बरसाए। बालाकोट, मुजफ्फराबाद और चकोटी में आतंकी ठिकाने ध्वस्त कर दिए। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, करीब 300 आतंकी और कुछ पाकिस्तान सैनिक मारे गए। सर्जिकल स्ट्राइक के बाद पाकिस्तान ने इसे नकार दिया था लेकिन इस बार उसने खुद ट्वीट करके माना है कि भारत ने हमला किया है। मंगलवार तड़के 3.30 बजे मिराज-2000 लड़ाकू विमानों ने नियंत्रण रेखा (एलओसी) के पार पाक के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में घुसकर आतंकी गुटों पर कार्रवाई की। 12 मिराज विमानों ने 1000 किलो बम बरसाए। इसमें कई आतंकी कैंप तबाह हुए हैं। वायुसेना के सूत्रों ने इस हमले का दावा किया है। 14 फरवरी को हुए पुलवामा फिदायीन हमले में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हुए थे। जैश-ए-मोहम्मद ने इसकी जिम्मेदारी ली थी। खास बात ये है कि पाकिस्तान के सैन्य प्रवक्ता ने माना है कि भारत ने उसके ठिकानों पर हमला किया है। उन्होंंने कहा- हमें जवाब का मौका मिलता तब तक भारत के जंगी जहाज लौट चुके थे।


       रडार से मिली तस्वीरों से यह साबित होता है कि पुलवामा आतंकी हमले के 13वें दिन भारत की ओर से पाकिस्तानी सीमा में जाकर बालाकोट में जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी ठिकानों को नष्ट करने के लिए की गई एयर स्ट्राइक ने वहां के आतंकी कैंपों को खासा नुकसान पहुंचाया था। हालांकि, सूत्र बताते हैं कि घने बादलों के कारण सैटेलाइट से तस्वीरें नहीं खींची जा सकीं। रक्षा मंत्रालय से जुड़े सूत्रों के अनुसार, सेंथेटिक एपेट्योर रडार (एसएआर) ने बालाकोट में एयर स्ट्राइक से पहले और बाद की तस्वीरें खींची थीं. तस्वीरों में वह जगह ऊबड़-खाबड़ दिख रही है और सैटेलाइट तस्वीरों में यह स्थिति साफ नहीं हो रही है क्योंकि भारी बादल के कारण सैटेलाइट यहां की तस्वीरें नहीं खींच सके। भारत की ओर से आधिकारिक तौर पर कुछ भी नहीं कहा गया कि भारतीय वायुसेना की ओर से की गई इस एयर स्ट्राइक से कितने आतंकी मारे गए। सेंथेटिक एपेट्योर रडार (एसएआर) ने सुखोई 30 फाइटर जेट की तस्वीरें खींची हैं, जो मिराज के आतंकी कैंप पर हमले के दौरान पीछे-पीछे उड़ रहा था। सूत्र बताते हैं कि मिराज जेट खराब मौसम और घने बादलों के कारण साफ तस्वीरें नहीं खीच सका. सेंथेटिक एपेट्योर रडार (एसएआर) का इस्तेमाल किसी जगह की जासूसी देख-भाल और निगरानी के लिए किया जाता है। रक्षा विभाग से जुड़े आधिकारिक सूत्र बताते हैं कि यह विश्वसनीय प्रमाण है कि एयर स्ट्राइक ने लक्षित जगहों पर अपना निशाना साधा और उन्हें तबाह किया।


इस्लामिक सहयोग संगठन (IOC) में हिस्सा लेकर भारत ने इतिहास रच दिया है।पड़ोसी मुल्क के साथ तनाव के बीच  'सम्मानित अतिथि' की हैसियत से यहां आमंत्रित किया जाना भारत की कूटनीतिक जीत है। सम्मेलन में हिस्सा लेने पहुंचे फलस्तीन के विदेश मंत्री डॉ. रियाद मलिक ने भारत और पाकिस्तान के बीच संबंधों को सुधारे जाने पर जोर दिया है। उन्होंने कहा कि दोनों देशों को मिल बैठकर बातचीत के जरिए मसलों को सुलझाना चाहिए। भारत में मुस्लिमों की बड़ी आबादी रहती है। इसलिए यह बहुत महत्वपूर्ण है कि यदि भारत ओआईसी का सदस्य नहीं है तो कम से कम उससे रिश्ता बनाए रखना चाहिए। भारत को सभी स्तरों पर चर्चा के लिए आमंत्रित किया जाना चाहिए। कई क्षेत्रों में भारत से हमारे संबंध बेहतर हैं। इससे पहले भारतीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने पाकिस्तान पर निशाना साधा. इस्लामिक सहयोग संगठन (OIC) के मंच ने उन्होंने कहा कि जो देश आतंकवादियों को फंड मुहैया कराता है और उन्हें पनाह देता है, उसे निश्चित ही उसकी धरती से आतंकी शिविरों को समाप्त करने के लिए कहा जाना चाहिए। सुषमा स्वराज ने कहा, अगर हम मानवता को बचाना चाहते हैं तो हमें निश्चित ही आतंकवादियों का वित्त पोषण करने वाले और उन्हें पनाह देने वाले देशों से उनकी धरती पर आतंकी शिविरों को समाप्त करने और पनाहगाहों को समाप्त करने के लिए कहना चाहिए। सुषमा इस सम्मेलन में 'सम्मानित अतिथि' की हैसियत से भाग ले रही हैं।  पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने सुषमा की उपस्थिति की वजह से इस सम्मेलन में हिस्सा नहीं लिया है।  कश्मीर के पुलवामा में आत्मघाती हमले के बाद पाकिस्तान में जैश-ए-मोहम्मद(जेईएम) के प्रशिक्षण शिविरों पर भारत द्वारा किए गए हवाई हमले के तीन दिन बाद सुषमा स्वराज ने यहां पाकिस्तान का नाम लिए बिना उस पर निशाना साधा।  पाकिस्तान स्थित जेईएम ने पुलवामा हमले की जिम्मेदारी ली थी। 


सुषमा ने कहा कि आतंक के खतरे को सिर्फ 'सैन्य, खुफिया या कूटनीतिक' तरीकों से हराया नहीं जा सकता, बल्कि इसे 'हमारे मूल्यों की मजबूती और धर्म के संदेश' से जीता जा सकता है। 


उन्होंने कहा, "यह सभ्यता और संस्कृति का टकराव नहीं है, बल्कि विचारों और आदर्शों के बीच प्रतिस्पर्धा है। " विदेश मंत्री ने कहा, "आतंकवाद और अतिवाद के विभिन्न नाम और स्वरूप होते हैं। यह विविध कारणों का उपयोग करता है।  लेकिन प्रत्येक मामले में, यह धर्म के विरूपण और इसकी सत्ता के पथभ्रष्ट विश्वास से आगे बढ़ता है। " मंत्री ने इसके साथ ही अपने संबोधन में भारत की प्राचीन सभ्यता के मूल्यों, इसके बहुलतावादी स्वभाव और शांति के संदेश का जिक्र किया। 


भारतीय सीमा में घुस आए पाकिस्तानी विमान के खिलाफ कार्रवाई के दौरान भारतीय वायुसेना का एक मिग 21 दुर्घटनाग्रस्त हुआ है। साथ ही भारत सरकार ने पुष्टि की कि पाकिस्तान ने वायुसेना के विंग कमांडर अभिनंदन वर्धमान को बंदी बना लिया है। सरकार ने पाकिस्तान से उन्हें जल्द वापस भारत भेजने की मांग की है। विंग कमांडर अभिनंदन के लिए पाकिस्तान में सुरक्षा कवच का काम करेगी एक अंतरराष्ट्रीय संधि। जिसे हम जेनेवा कन्‍वेंशन या जेनेवा समझौता (Geneva Convention) कहते हैं। किसी देश का सैनिक जैसे ही पकड़ा जाता है उस पर ये समझौता लागू होता है। किसी भी युद्धबंदी के साथ अमानवीय बर्ताव नहीं करने के लिए ये समझौता विवश करता है। किन्हीं दो देशों के बीच चाहे जितनी भी दुश्मनी क्यों न हो अगर उनका कोई सैनिक एक दूसरे का युद्धबंदी बन जाता है तो उस पर कुछ इंटरनेशनल प्रोटोकॉल लागू होते हैं। जिसके तहत न तो उससे पूछताछ की जबरदस्ती की जा सकती और न ही धमकी दी जा सकती है। खाने-पीने का इंतजाम करना उन्हें बंधक बनाकर रखने वालों की जिम्मेदारी होगी। युद्धबंदी को वही मेडिकल सुविधाएं भी हासिल होंगी जो उसके सैनिक को मिलती हैं। जेनेवा कन्वेंशन के तहत उसे ये अधिकार हासिल होगा। भारत ने पुष्टि की है कि भारतीय वायुसेना के पायलट अभिनंदन पाकिस्तान के कब्जे में हैं।


      20 साल पहले भी पाकिस्तान ने करगिल युद्ध के हीरो नचिकेता को सार्वजनिक तौर पर भारत को सौंपने की चाल चली थी लेकिन उस वक्त वह विफल हो गया था...तब और आज की परिस्थिति में क्या अंतर है, पाक ने शांति का शिगूफा छोड़कर क्या हासिल किया और अपनी छवि को साफ दिखाने का यह प्रयास कहां टिकता है। पाकिस्तान ने पकड़ते ही भारतीय वायुसेना के विंग कमांडर अभिनंदन वर्तमान के कुछ वीडियो जारी किये। इसमें उन्हें अपनी पहचान जाहिर करते, चाय पीते हुए और पाक के बेहतर बर्ताव की तारीफ करते हुए दिखाया गया। भारतीय विदेश मंत्रालय ने पाकिस्तान के इस कदम की आलोचना करते हुए इसे वल्गर डिस्प्ले (अशिष्ट प्रदर्शन) बताया। पाक का यह कदम सीधे तौर पर तीसरे जिनेवा कन्वेंशन का उल्लंघन था। तीसरे जिनेवा कन्वेंशन का अनुच्छेद 13 कहता है- किसी भी युद्धबंदी के साथ हर कीमत पर मानवीय व्यवहार होना चाहिए। युद्धबंदी जब तक कैद में हो उसके साथ किसी भी तरह का अमानवीय व्यवहार नहीं होना चाहिए। युद्धबंदी के साथ कोई भी गैरकानूनी कार्रवाई नहीं होनी चाहिए। युद्धबंदी के स्वास्थ्य पर किसी भी तरह का बुरा असर नहीं पड़ना चाहिए और न ही उस पर ऐसी कोई सख्ती दिखानी चाहिए जिससे उसकी जान पर बन आए। अभिनंदन पर हुई सख्ती की गवाही तो उनके आने वाले वक्त के बयान से जाहिर होगी लेकिन यह तो साफ है कि जिनेवा समझौते का पाक उल्लंघन कर गया। पाकिस्तान की तरफ से अभिनंदन के खून से सने चेहरे वाली तस्वीरें साझा की गई। सेना के प्रवक्ता ने सीधे तौर पर अभिनंदन की तस्वीर को ट्वीट किया। इससे पहले पूछताछ वाला वीडियो जारी किया गया..ये दोनों ही चीजें सीधे तौर पर जिनेवा समझौते का उल्लंघन हैं। क्योंकि जिनेवा कन्वेंशन साफ तौर पर कहता है कि कोई भी युद्धबंदी अपमान और सार्वजनिक जिज्ञासा का विषय नहीं बनना चाहिए। उसके साथ हिंसा की घटना नहीं होनी चाहिए। जिनेवा कन्वेंशन कहता है कि आप युद्धबंदी से सिर्फ उसका सर्विस नंबर और नाम पूछ सकते हैं लेकिन वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि पाकिस्तान उसके धर्म से लेकर और क्या-क्या चीजें पूछ रहा था...। जो कि साफ तौर पर जिनेवा कन्वेंशन का उल्लंघन है। तीसरे जिनेवा कन्वेंशन का अनुच्छेद 17 साफ तौर पर कहता है कि जब किसी भी युद्धबंदी से सवाल-जवाब किया जाए तो सिर्फ उसका नाम, उपनाम, रैंक, उसके जन्म की तारीख, आर्मी और सर्विस नंबर ही पूछा जाए। लेकिन इस मामले में पाकिस्तान वीडियो बनाकर अभिनंदन से सार्वजनिक तौर पर बहुत-सी पूछताछ की जो कि जिनेवा कन्वेंशन के खिलाफ है। जिनेवा कन्वेंशन में युद्धबंदी के शारीरिक और मानसिक यातना पर भी मनाही है। जिनेवा कन्वेंशन में साफ कहा गया है कि जैसे ही दोनों देशों के बीच शत्रुता और तनाव कम हो फौरन युद्धबंदी को उसके वतन को सौप देना चाहिए। अनुच्छेद 118 में साफ बताया गया है कि दो देशों के बीच जैसे ही सक्रिय शत्रुता समाप्त हो, युद्धबंदी को फौरन, बिना देरी के उसके देश के हवाले कर देना चाहिए। चाहे तब तक दोनों देशों के बीच किसी भी तरह की शत्रुता रोकने के लिए समझौते पर हस्ताक्षर हुए हों या नहीं।

         1999 फ्लाइट लेफ्टिनेंट नचिकेता को करगिल युद्ध के दौरान पाकिस्तान ने युद्धबंदी बना लिया था। उनकी वतन वापसी जिनेवा कन्वेंशन के तहत ही हुई थी। उस वक्त भी पाकिस्तान का विचार उन्हें सार्वजनिक तौर पर भारत के हवाले करने का था लेकिन भारत ने पाक के इस इरादे को अस्वीकार कर दिया था। इसके बाद पाकिस्तान ने आठ दिनों के भीतर ही लेफ्टिनेंट नचिकेता को अंततराष्ट्रीय समुदाय के रेड क्रॉस के हवाले कर दिया था और उनकी वतन वापसी हुई थी। अभिनंदन को न ही भारतीय विदेश मंत्रालय ने युद्धबंदी माना और न ही पाकिस्तान की तरफ से उन्हें युद्धबंदी घोषित किया गया। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि इस मामले में तीसरा जिनेवा समझौता लागू नहीं होता है। जिनेवा समझौता युद्ध और किसी भी तरह के आर्म्ड कॉन्फिलक्ट यानी सशस्त्र संघर्ष में लागू होता है। चाहे युद्ध हो या न हो। जिनेवा समझौते की नींव 1949 में पड़ी। यह दूसरे विश्व युद्ध की समाप्ति का दौर था। चार जिनेवा समझौतों में से तीन के प्रोटोकॉल लागू होते हैं। इनमें से तीसरा जिनेवा कन्वेंशन युद्धबंदी के साथ कैसा व्यवहार होना चाहिए, इसे लेकर है। जबकि आखिरी कन्वेंशन युद्ध के वक्त नागरिकों की सुरक्षा पर केंद्रित है। दरअसल, पाकिस्तान इस पूरे मामले में अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सामने अपनी छवि को पाक बनाने की कोशिश में था लेकिन यहां भी गलती कर गया। भारत चाहता था कि अभिनंदन को हवाई मार्ग के जरिए सौपा जाए लेकिन पाक ने इस मांग को ठुकरा दिया और वाघा बॉर्डर पर सौपने की जिद पर अड़ा रहा। भारत ने जहां  बीटिंग रिट्रीट को रद्द कर दिया था पाकिस्तान ने वहीं अपने यहां बीटिंग रिट्रीट जारी रखी और अभिनंदन को बॉर्डर पर लाया गया।

         दिनभर के इंतजार के बाद रात 9.16 बजे जब भारतीय वायुसेना के विंग कमांडर अभिनंदन वर्धमान वाघा बॉर्डर पर नजर आए तो उनका जज्बा और आत्मविश्वास साफ झलक रहा था। पाकिस्तान की तरफ से जब उन्होंने भारत की तरफ कदम बढ़ाए तब भी उनके चेहरे पर गंभीरता और दिल में जुनून और चाल में निर्भीकता दिख रही थी। यह सब बता रहा था कि किस कदर देशप्रेम उनकी रग-रग में मौजूद है। विंग कमांडर अभिनंदन ने अपनी निर्भीकता, हौसला और समझदारी का परिचय उसी वक्त दे दिया था जब पाकिस्तान की तरफ से उनका पहला वीडियो जारी किया गया था। पाकिस्तानी अधिकारियों के बार-बार पूछने के बाद भी उन्होंने निर्भीकता से अपने नाम और पद के अलावा कोई भी जानकारी देने से इनकार कर दिया था। उनका यही देशप्रेम और गंभीरता शुक्रवार रात वाघा बॉर्डर पर भी दिखाई दी। जब उनके डग पाकिस्तान की तरफ से भारत की ओर बढ़ रहे थे तो वे शांत, गंभीर, अडिग लग रहे थे।अभिनंदन का गंभीर चेहरा और विजेता जैसी चाल को देखने के लिए 130 करोड़ भारतीयों की आंखें दिनभर से टकटकी लगाए बैठी थी। लोगों का ख्वाब रात को जब पूरा हुआ तो उन्हें देखते ही लोगों के दिल में अपार श्रद्धा और देशप्रेम हिलोरे लेने लगा।अपनी बावनाओं पर कोई अफसर किसी तरह नियंत्रण कायम रखता है यह उस समय देखने को मिला जब उन्होंने कदम देश की जमीं पर रखा। दिनभर के इंतजार के बाद रात 9.16 बजे जब भारतीय वायुसेना के विंग कमांडर अभिनंदन वर्धमान वाघा बॉर्डर पर नजर आए तो उनका जज्बा और आत्मविश्वास साफ झलक रहा था। पाकिस्तान की तरफ से जब उन्होंने भारत की तरफ कदम बढ़ाए तब भी उनके चेहरे पर गंभीरता और दिल में जुनून और चाल में निर्भीकता दिख रही थी। यह सब बता रहा था कि किस कदर देशप्रेम उनकी रग-रग में मौजूद है। विंग कमांडर अभिनंदन ने अपनी निर्भीकता, हौसला और समझदारी का परिचय उसी वक्त दे दिया था जब पाकिस्तान की तरफ से उनका पहला वीडियो जारी किया गया था। पाकिस्तानी अधिकारियों के बार-बार पूछने के बाद भी उन्होंने निर्भीकता से अपने नाम और पद के अलावा कोई भी जानकारी देने से इनकार कर दिया था। उनका यही देशप्रेम और गंभीरता शुक्रवार रात वाघा बॉर्डर पर भी दिखाई दी। हरे कोट , खाकी पतलून और सफेद कमीज पहने विंग कमांडर के डग जब पाकिस्तान की तरफ से भारत की ओर बढ़ रहे थे तो वे शांत, गंभीर, अडिग लग रहे थे। अभिनंदन का गंभीर चेहरा और विजेता जैसी चाल को देखने के लिए 130 करोड़ भारतीयों की आंखें दिनभर से टकटकी लगाए बैठी थी। लोगों का ख्वाब रात को जब पूरा हुआ तो उन्हें देखते ही लोगों के दिल में अपार श्रद्धा और देशप्रेम हिलोरे लेने लगा। पाकिस्तानी रेंजर और भारतीय अटैची के बीच में धीरे-धीरे अपने वतन की माटी की तरफ बढ़ते अभिनंदन के चेहरे पर एक अलग तरह का तेज झलक रहा था।


 

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