लोकपाल की दुर्दशा, 70 प्रतिशत पद खाली

लोकपाल की दुर्दशा : अशोका होटल में ऑफिस : 70 प्रतिशत पद खाली – एक्टिविस्ट उर्वशी का RTI खुलासा 



लखनऊ/26 जुलाई 2019: उच्च श्रेणियों के लोकसेवकों के ख़िलाफ़ भ्रष्टाचार की जांच के लिए बना लोकपाल कानून साल 2013 में संसद के दोनों सदनों में पारित किया गया था। 6 साल बाद भी आज स्थिति यह है कि लोकपाल के पास न तो कोई स्थाई कार्यालय है और न ही लोकपाल को कार्य करने के लिए जरूरी संसाधन उपलब्ध कराये जा सके हैं।  उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ स्थित नामचीन समाजसेविका और आरटीआई कार्यकत्री उर्वशी शर्मा की एक आरटीआई अर्जी पर लोकपाल सचिवालय के अनुसचिव और केन्द्रीय जन सूचना अधिकारी अरुण कुमार द्वारा बीती 15 जुलाई को भेजे गए उत्तर से यह चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। 
अरुण ने उर्वशी को बताया है कि लोकपाल सचिवालय में कुल 56 पद स्वीकृत हैं जिनमें से अभी तक मात्र 17 पद ही नियमित रूप से भरे जा सके हैं। अरुण के पत्र से यह बात भी सामने आ रही है कि लोकपाल के पास अभी तक कोई स्थाई कार्यालय नहीं है और वर्तमान में लोकपाल सचिवालय का काम-काज नई दिल्ली के चाणक्यपुरी स्थित अशोका होटल से ही किया जा रहा है। 
पारदर्शिता,जबाबदेही और मानवाधिकार संरक्षण के क्षेत्र में देश में कार्य कर रहे समाजसेवियों में अग्रणी स्थान रखने वाली उर्वशी शर्मा ने एक विशेष बातचीत में बताया कि इस आरटीआई उत्तर से साफ हो गया है कि केंद्र सरकार अभी तक लोकपाल संस्था को जरूरी संसाधन उपलब्ध कराने में  असफल रही है। 
बकौल उर्वशी लोकपाल जैसी संवेदनशील और महत्वपूर्ण संस्था का सञ्चालन एक सार्वजनिक स्थान अर्थात होटल से किया जाना न केवल हास्यास्पद है अपितु यह लोकपाल जांचों की गोपनीयता बनाए रखने पर बड़ा प्रश्नचिन्ह भी है। लोकपाल सचिवालय के 56 पदों में से 39 पद अर्थात 70 प्रतिशत पद रिक्त होने को एक गंभीर विषय बताते हुए समाजसेविका उर्वशी ने इस सम्बन्ध में देश के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर लोकपाल को स्थाई कार्यालय,प्रचुर मानव संसाधन एवं अन्य आवश्यक संसाधन शीघ्रातिशीघ्र उपलब्ध कराने की मांग उठाने की बात कही है। 



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