ICSE बोर्ड का पाठ्यक्रम अब इससे संबंद्ध स्कूलों में नहीं पढ़ाया जाएगा

 बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने यह आदेश जारी किया



आईसीएसई बोर्ड का पाठ्यक्रम अब इससे संबंद्ध स्कूलों में नहीं पढ़ाया जाएगा। इस बोर्ड को भी अन्य बोर्ड की तरह राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) या किसी राज्य शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) की ओर से तैयार पाठ्यक्रम को अपनाना होगा। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने यह आदेश जारी किया है। बता दें कि शिक्षा के अधिकार कानून का संरक्षक एनसीपीसीआर को बनाया गया है। एनसीपीसीआर के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि आईसीएसई काउंसिल पाठ्यक्रम को तत्काल प्रभाव से वापस ले और अपने स्कूलों के लिए किसी अधिसूचित प्राधिकारी की ओर से तैनात पाठ्यक्रम को अपनाए। इसकी अनुपालन रिपोर्ट 15 दिन में आयोग को दे। इसके अलावा राज्य के शिक्षा विभागों को निर्देश दिए गए हैं कि उनके राज्य में आईसीएसई बोर्ड से संबंद्ध स्कूलों में इस आदेश की अनुपालना के लिए निर्देश जारी करे। मालूम हो, देश में अपने किस्म के अकेले आईसीएसई बोर्ड के स्कूलों में पहली से आठवीं कक्षा तक एनसीईआरटी से अलग पाठ्यक्रम पढ़ाया जा रहा था। 


       आईसीएसई बोर्ड ने इसके जवाब में कहा था कि उसका पाठ्यक्रम विशेषज्ञों की एक टीम ने मिलकर तैयार किया है। टीम में एनसीईआरटी के भी विशेषज्ञ शामिल थे। आईसीएसई बोर्ड का जवाब मिलने के बाद एनसीपीसीआर ने एनसीईआरटी से पूछा था कि वह आईसीएसई बोर्ड में पाठ्यक्रम लागू करने की बजाए उनके पाठ्यक्रम को वैधता प्रदान करने में कैसे मदद कर सकता है? इसके जवाब में एनसीईआरटी ने कहा कि वह आईसीएसई बोर्ड के पाठ्यक्रम की समीक्षा राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग की तरफ से एक बड़ा आदेश जारी किया गया है। आयोग ने आदेश जारी करते हुए कहा है कि आईसीएसई काउंसिल तत्काल प्रभाव से अपना पाठ्यक्रम वापस ले और सरकार के द्वारा अधिसूचित प्राधिकार की ओर से तैनात पाठ्यक्रम को ही अपनाएं।स्पष्ट है की आईसीएसई बोर्ड का पाठ्यक्रम अब संबंधित स्कूलों में लागू नहीं होगा। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के आदेश के अनुसार आईसीएसई बोर्ड को अन्य बोर्ड की तरह एनसीईआरटी राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद या किसी राज्य शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद की ओर से तैयार किए गए पाठ्यक्रम को ही अपनाना होगा। गौरतलब है कि नए नियम के अनुसार शिक्षा के अधिकार कानून का संरक्षक राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग एनसीपीसीआर को बनाया गया है। शिक्षा के अधिकार कानून के तहत राष्ट्रीय बाल संरक्षण के बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंका कानूनगो ने अपने आदेश में कहा है कि आईसीएसई बोर्ड से संबंधित सभी स्कूलों को केंद्रीय विद्यालय व केंद्रीय बोर्ड से समृद्धि स्कूल को एनसीईआरटी के पाठ्यक्रम और मूल्यांकन का हर हाल में पालन करना है अगर ऐसा नहीं किया जाता तो राज्य शिक्षा विभाग एससीईआरटी के द्वारा नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट वापस ले लिया जाएगा। कई छात्र, अभिभावक और शिक्षक इस विषय में हमेशा ऐसे प्रश्न पूछते हैं कि "छात्रों के लिए कौन सा बोर्ड बेहतर माना जाता है? आईसीएसई या सीबीएसई" या "एनआईओएस क्या है?"  इस विषय में काफी लोगों को कई प्रकार की दुविधा भी होती है. आज इस लेख में हम छात्रों के प्रश्नों की पुष्टि के साथ-साथ इन बोर्ड के बीच के महत्वपूर्ण अंतर के बारे में भी बतायेंगे:


सबसे पहले, हम तीनो बोर्डों के बारे में कुछ बुनियादी तथ्यों को समझेंगे:


सीबीएसई (माध्यमिक शिक्षा बोर्ड):


CBSE बोर्ड भारत का एक मात्र बोर्ड है जो की नेशनल लेवल पर सभी पब्लिक तथा प्राइवेट स्कूलस को संचालित करता है. यह बोर्ड भारत सरकार द्वारा नियंत्रित किया जाता है.



सीबीएसई सभी केन्द्रीय विद्यालयों (के वी एस), जवाहर नवोदय विद्यालयों (जे एन वी), प्राइवेट स्कूलों और भारत सरकार द्वारा अनुमोदित अधिकांश स्कूलों को affiliation प्रदान करता है .


भारत में 19 हजार से अधिक स्कूल और 25 विदेशी देशों में लगभग 211 स्कूल सीबीएसई से affiliated हैं.


सीबीएसई हर साल कक्षा 10वीं और कक्षा 12वीं की वार्षिक परीक्षा (या बोर्ड परीक्षा) आयोजित करती है और मई के अंत तक परिणाम की घोषणा भी कर देती है.


कक्षा 10वीं और कक्षा 12वीं के लिए बोर्ड परीक्षाओं के अलावा, सीबीएसई जेईई मेन, NEET, यूजीसी नेट इत्यादि जैसी कुछ महत्वपूर्ण प्रतियोगी परीक्षाएं भी आयोजित करती है.



सीबीएसई अपने affiliated स्कूलों में एनसीईआरटी पाठ्यपुस्तकें निर्धारित करती है.


सीआईएससीई / आईसीएसई (काउंसिल फॉर दा इंडियन स्कूल सर्टिफिकेट एग्जामिनेशन):


इंडियन स्कूल सर्टिफिकेट परीक्षा परिषद (CISCE) भारत में स्कूल शिक्षा की एक निजी तौर पर आयोजित राष्ट्रीय स्तर की बोर्ड है.


यह इंडियन स्कूल सर्टिफिकेट ऑफ़ सेकेंडरी एजुकेश (ICSE or Class 10) और इंडियन स्कूल सर्टिफिकेट एग्जामिनेशन (ISC or Class 12) को आयोजित करती है और मई के अंत तक परिणाम भी घोषित कर देती है.


भारत और विदेशों में लगभग 2,100 स्कूल सीआईएससीई से affiliated हैं.



CISCE परीक्षा का पाठ्यक्रम विदेशी कैम्ब्रिज स्कूल सर्टिफिकेट परीक्षा (यूनाइटेड किंगडम) के पाठ्यक्रम पर आधारित है.


 
NIOS (नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ ओपन स्कूलिंग):


NIOS एक राष्ट्रीय बोर्ड है जो सीबीएसई और सीआईएससीई / आईसीएसई के समान ओपन स्कूलों की 10वीं और 12वीं की परीक्षाओं का प्रबंधन करती है.


NIOS का उद्देश्य साक्षरता बढ़ाने और ग्रामीण क्षेत्रों को शिक्षा प्रदान करना है.


NIOS द्वारा प्रदान किए जाने वाले स्कूल स्तर के पाठ्यक्रम नीचे अंकित हैं:


BE 'A' Level course


Equivalent to class 3rd


OBE 'B' Level course


Equivalent to class 5th


OBE 'C' Level course


Equivalent to class 8th


Secondary Course


Equivalent to class 10th


Senior Secondary Course


Equivalent to class 12th


पब्लिक एग्जामिनेशन अप्रैल-मई और अक्टूबर-नवंबर के महीने में आयोजित की जाती है.



कोई भी छात्र उन विषयों के लिए कक्षा 10वीं और 12वीं स्तर पर ऑन डिमांड परीक्षाओं के माध्यम से उपस्थित होने के लिए पात्र है, जिसमें उम्मीदवारों ने सब्जेक्ट वाइज शिक्षा के लिए एनआईओएस में प्रवेश लिया है.


परीक्षाओं की अंतिम तिथि के 6 सप्ताह बाद पब्लिक एग्जामिनेशन के परिणाम घोषित किए जाते हैं.


अब तक आपको यह अनुमान हो गया होगा कि तीनों बोर्डों की मान्यता बराबर है. इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि कोई छात्र सीबीएसई या सीआईएससीई या फिर एनआईओएस से कक्षा 10 तथा 12वीं उत्तिर्ण है.


जब ऊपर वर्णित सभी तीन बोर्डों की मान्यता बराबर है तो किस बोर्ड को प्राथमिकता दी जानी चाहिए?



इस प्रश्न का उत्तर इस बात पर निर्भर करता है कि कक्षा 12 के बाद आप किस प्रकार के करियर को चुनना चाहते हैं.


यदि कोई छात्र जेईई मेन, NEET इत्यादि जैसे प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए उपस्थित होने की योजना बना रहा है, तो उस छात्र को सीबीएसई बोर्ड चुनना चाहिए क्योंकि इस बोर्ड के पाठ्यक्रम पर ही JEE Main, NEET , WBJEE आदि की प्रतियोगी परीक्षा का पाठ्यक्रम आधारित होता है.


यदि कोई छात्र IELTS या TOEFL, जैसे English proficiency test के लिए उपस्थित होने की योजना बना रहा है, तो छात्र को CISCE बोर्ड का चयन करना चाहिए, क्योंकि CISCE पाठ्यक्रम भारत का अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उपयुक्त पाठ्यक्रम माना जाता है.



अगर किसी कारण से कोई छात्र किसी भी स्कूल में कक्षाओं में भाग लेने में असमर्थ है तो वह एनआईओएस से अपनी स्कूली शिक्षा पूरी कर सकता है.


संक्षेप में, सभी तीन बोर्ड (सीबीएसई, एनआईओएस और सीआईएससीई) की समान मान्यता है और छात्र अपनी आवश्यकताओं और सुविधा के अनुसार बोर्ड का चयन कर सकते हैं.


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