दूसरी तिमाही जीडीपी औंधे मुंह 4.5%

जीडीपी 6 साल के निचले स्तर पर पहुंची:


कुछ ही समय पहले समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने अर्थशास्त्रियों का सर्वेक्षण किया था जिसमें ये दर 5% से नीचे गिर कर 4.7% तक ही रहने की आशंका जताई गई थी।


अब तो आंकड़ा आया है वो उस अनुमानित आंकड़े से भी खराब और चिंताजनक है। वर्तमान वित्तीय वर्ष की दूसरी तिमाही में जीडीपी गिर कर मात्रा 4.5% ही रह गई।



सबसे चिंताजनक ख़बर ये है कि इंडस्ट्री की ग्रोथ रेट 6.7% से गिरकर 1/2% रह गई है। मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में बढ़ोत्तरी की जगह गिरावट दर्ज हुई है। उधर कृषि क्षेत्र में बढ़ोत्तरी की दर 4.9 से गिरकर 2.1% और सर्विसेज़ की दर भी 7.3% से गिरकर 6.8 ही रह गई है।


गिरती हुई जीडीपी पर पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह ने चिंता जताई है। अर्थव्यवस्था पर एक राष्ट्रीय सम्मेलन में अपना विदाई भाषण देते हुए सिंह ने कहा कि आपसी विश्वास हमारे सामाजिक लेनदेन का आधार है और इससे आर्थिक वृद्धि को मदद मिलती है। लेकिन 'अब हमारे समाज में विश्वास, आत्मविश्वास का ताना-बाना टूट गया है। उन्होंने कहा, 'हमारा समाज गहरे अविश्वास, भय और निराशा की भावना के विषाक्त संयोजन से ग्रस्त है। यह देश में आर्थिक गतिविधियों और वृद्धि को प्रभावित कर रहा है।


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