ये समाज अपनी बच्चियों के लिये स्वयं सुरक्षित बनाना पड़ेगा हमें

ये समाज अपनी बच्चियों के लिये स्वयं सुरक्षित बनाना पड़ेगा हमें:


एक महिला के साथ जघन्य अपराध होता है और लोग उसको इंसाफ दिलाने के बजाय आवाज़ उठा रहे हैं हिंदू मुसलमान पर सियासत करने के लिये । पकड़े गये ४ दरिंदों में से एक मुसलमान और ३ हिंदू हैं, तो???? क्या इससे किसी का गुनाह कम और किसी का ज्यादा हो जाता है?? क्या अपराध धर्म के आधार पर तय किया जायेगा?? 


 अगर सियासत ही करनी है तो फिर गौर तलब है कि “ बेटी बचाओ” अभियान की क्या सार्थकता है अगर उसको कानूनी तौर पर सुरक्षा ना मिले ? दूसरी बार प्रचंड बहुमत से आई सरकार, कश्मीर से धारा ३७० हटाने का साहसिक कार्य कर सकती है, तो ३७६ में संशोधन कर बलात्कारियों के लिये कड़ी सजा़ ( मृत्युदण्ड) का प्रावधान क्यों नहीं कर सकती??



अब हिंदू मुसलमान करना है तो वो भी कर लो...... तीन तलाक़ से पीड़ित मुस्लिम महिलाओं का मर्म तो इस सरकार को बिना कहे दिख गया और तुरंत कानून बन गया, बड़ी वाहवाही हुई जी, ऐतिहासिक निर्णय कर मुस्लिम महिलाओं के मसीहा बनने वाले कभी अपनी बेटियों का दर्द भी देख पाते, जो हर बार ऐसे तन,मन और आत्मा को तार तार करके पुकारता है ।
तीन तलाक़ बोलकर छोड़ दी गई महिलाओं के ज़ख्मों पर मरहम लगाने वाले, काश इन बच्चियों की आत्मा को भी शांति पहुँचा पाते।
शायद ऐसा करने में कोई सियासी फायदा ना हो,
इस मामले पर प्रधान मंत्री, उनकी पार्टी की क़द्दावर महिला नेता, सब चुप्पी साध लेते हैं ?? और इनको ही क्यों कहें,विपक्ष प्याज़ और पेट्रोल के बढ़ते दामों पर इतना हल्ला मचाता है, क्या एक महिला की इज्जत और जान इतनी सस्ती है कि उसके बारे में एक शब्द नहीं??? बुद्धिजीवी वर्ग भी शायद वही मुद्दे उठाता है जिसमें वाहवाही मिले।
कुछ समय पूर्व प्रधान मंत्री जी की भतीजी का बटुआ गुम गया था दिल्ली में, तो सियासी गलियारों में हड़कम्प मच गया था !!!!
बाकी बेटियाँ क्या न्याय की हक़दार नहीं???
आप तो राजा हैं, और राजा तो सबका होता है ना??? जो कोई नहीं कर पाया उसकी उम्मीद आपसे है साहब ।


ताज्जुब है कि लव जिहाद पर पैनी दृष्टि रखने वाले, वैलेंटाइन डे पर युवाओं को रोक कर, पीट कर देश की संस्कृति को मलिन होने से बचाने वाले, गोहत्या कि शंका मात्र पर अखलाक़, युसुफ, अब्दुल इत्यादि का हत्या करने वाले, अपने ही धर्म का बहन पर ऐसे अपराधों पर कुछ नहीं कहते, कोई करनी सेना विरोध नहीं करती??
ऐसे अपराधियों की माब लिंचिंग नहीं होती।
और तो और इनको पैरवी करने के लिये वकील भी मिल जाते हैं


खैर, सियासी बातें यहाँ बेमानी हैं, इन लोगों की या तो बेटियाँ नहीं है, या हैं तो वो सुरक्षित हैं, उनका भविष्य उज्जवल है, बचाना आपको और हमको है, अपने बच्चों का भविष्य, जिनको इसी समाज में रोज़ कठिनाइयों का सामना करना है । हर समय हम अपने बच्चों के साथ रहकर उनकी रक्षा नहीं कर सकते , और ये बात मेरे घर या आपके घर की नहीं, सबके घर की है ।


ये समाज अपनी बच्चियों के लिये स्वयं सुरक्षित बनाना पड़ेगा हमें ।
समाज और जनता जो माँगती है, उसको ही नेता चुनावी मुद्दा बनाते हैं। अब ये हम पर है कि धर्म, जात पात चाहिये कि शिक्षा, सुरक्षा चाहिये हमें अपनी अगली पीढ़ी के लिये???


सख्त कानून के साथ ही, पुलिस को संवेदनशील बनाने की ज़रूरत है क्योंकि कई मामलों में सही वक्त पर सहायता नहीं मिलती, या फिर ढिलाई के चलते अपराधी बच निकलते हैं । महिलाओं के सशक्तिकरण से अधिक आवश्यकता उनके प्रति समाज के रवैये को बदलने की है । मीडिया, फिल्में, विज्ञापन, सभी स्त्रियों को उपभोग की वस्तु की भाँति परोस रहे हैं जिसपर लगाम लगनी चाहिये।
सिर्फ स्त्रियों को शिक्षित करने , आगे बढ़ाने, बराबरी का दर्जा देने से कुछ नहीं होगा यदि पुरुष प्रधान समाज को ये स्वीकार करना नहीं आयेगा ....... और ये इतनी आसानी से नहीं आयेगा......
बात कड़वी लगे शायद पर सत्य है......


जो ऐसी हैवानियत पर दूसरों के गुनाह गिनवाकर घिनौनी राजनीति करे, या तो उसके पास बेटी नहीं, या दिल नहीं।


ईश्वर दिवंगत बेटी की आत्मा को शांति और उसके तथा हर ऐसे अपराधी को उससे बदतर मौत दे।।।।


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