किन मुद्दों पर जीते केजरीवील

आज अरविंद केजरीवाल दिल्ली के मुख्य मंत्री पद की तीसरी बार शपथ लेते ही ,कुछ लोगों का रोना शुरू हो गया। हम क्यों हारे इसपर आत्म मंथन के बजाय, वो कैसे जीत गया ??? पर ज़ोर है। हतकंडे तो सारे आज़माये थे। प्रधान सेवक, उनके  परम प्रधान सेवक, अनेक मंत्री, मुख्य मंत्री, सब मिलकर हिंदू मुस्लिम विवाद,पाकिस्तान से तार, गद्दार,अपशब्दों के बाण और जाने क्या क्या करते रहे। संस्कारी लोग भाषा का स्तर और अपने चरित्र की गरिमा गिराते रहे और वह बंदा सिर्फ ये कहता रहा जनता से, कि अगर मैंने काम किया है तो वोट दें ! उसने धर्म ,जाति के बजाय शिक्षा, स्वास्थ्य और सुविधाओं की बात की , जो कि ये तो कर ही नहीं सकते।
कहने को तो दिल्ली की सातों लोक सभा सीटों पर भाजपा प्रत्याशी लगातार दो चुनाव जीते हैं, केन्द्र में इनकी सरकार है, फिर भी इनके पास गिनवाने को एक काम नहीं ??? शायद इनको पूरा विश्वास है कि मुखिया जी कोई ना कोई चाल चल के चुनाव तो जितवा ही देंगे, तो काम क्यों करना जब बातों से ही काम चल जाता है । 


तो किन मुद्दों पर जीते केजरीवील ???? 


सबसे पहले भक्त कूदेंगे कि मुफ्त बिजली बाँट के ....
200 यूनिट तक इस्तेमाल करने वालों को मुफ्त बिजली, 200-400 यूनिट पर 50% फीसदी रियायत । कौन लोग होंगे इस प्रकार सुविधा पाने वाले?? हमारे आपके जैसे तो बिल्कुल नहीं । ग़रीब मज़दूर जो दिनभर मेहनत करते हैं, छोटे मोटे रोज़गार करने वाले लोग, ताकि वो चैन से सो सकें, ताकि उनके बच्चे पढ़ सकें, ना की सारी दिल्ली को मुफ्त बंट रही बिजली।
सम्पन्न लोगों को तो मिली नहीं मुफ्त बिजली.... फिर क्यों ग्रेटर कैलाश, करोल बाग़, चाँदनी चौक, द्वारका जैसी जगहों पर आम आदमी पार्टी जीती??
पढ़ा लिखा व्यक्ति शिक्षा का महत्व समझता है क्योंकि अज्ञानता और अंधविश्वास के अंधकार को शिक्षा ही दूर कर सकती है ..... मगर इनसे क्या उम्मीद की जाये। अटल जी ने “ स्कूल चलो “ अभियान शुरू किया था, हर बच्चे को शि़क्षित करने के लिये, पर अब उनके स्वप्न की किसको परवाह ? जो करने की कोशिश कर रहा है उसको हतोत्साहित कर रहे हैं।
उसने मोहल्ला क्लिनिक के माध्यम से जन जन तक मूलभूत चिकित्सा सुविधाएं पहुँचाईं, महंगी जाँचों के नाम पर निजी अस्पतालों, चिकित्सकों द्वारा हो रही लूट पर लगाम लगाई , तो गलत किया??? क्या ये हर नागरिक का अधिकार और हर सरकार का दायित्व नहीं??


अब सबसे अहम बात, मेरे उन व्हाट्सऐप विश्विद्यालय के विद्वानों के लिये, जो दिल्ली की जनता को मुफ्तखोर कह रहे हैं,और केजरीवाल को जनता का पैसा मुफ्त बिजली, पानी, या सफर के लिये लुटाने के लिये दोष दे रहे हैं, उनसे अनुरोध है,जरा भाजपा का 2020 दिल्ली चुनाव धोषणापत्र एक बार पढ़ें, निष्पक्ष होकर, शायद आपके ज्ञान चक्षु खुल जायें..... कुछ बिंदु आपकी सेवा में, भाजपा के संकल्प पत्र से:


* अनाधिकृत कालोनियों को नियमित करके 40 लाख लोगों को कब्जा की हुई ज़मीन का मालिकाना हक दिया जायेगा । मतलब कोई आपकी जमीन पर कब्जा करे तो वो मालिक ।


*  5 लाख के बीमे वाली आयुष्मान भारत योजना दिल्ली में लागू की जायेगी ( माने, सरकारी अस्पतालों का स्तर बढ़ाने के बजाय, निजी अस्पतालों को बढ़ावा देकर उनकी जेबें भरी जायेंगी और गरीब जनता को मोहताज बनाया जायेगा)


*  गरीब विधवाओं की बेटियों की शादी ( ना कि शिक्षा) के लिये 51,000 रुपये दिये जायेंगे ( एक तरह से दहेज को बढ़ावा)


*गरीबों की पहली दो बेटियों को 21 वर्ष की होने पर २ लाख की आर्थिक सहायता??? किस लिये? दहेज के लिये??
लड़कियों को सशक्त , शिक्षित और स्वावलम्बी बनाने के बजाय उनको लाटरी का टिकट ही बना दो । क्या सोच है ये और कहाँ ले जायेगी समाज को??? 


*सकूल जाने वाली कन्याओं को “ मुफ्त” साइकिल !!!!
* कालेज जाने वाली छात्राओं को “ मुफ्त” स्कूटी !!!!!
* किसानों की समस्या का समाधान नहीं परन्तु उनको 6000 रु का अनुदान , ऐसी बहुत सी रेवड़ियों का लालच दिया गया है
..... और भी बहुत कुछ है, ज़रा देखिये एक नज़र 
अब ये सब तो सरकार बनती तो शायद अपनी जेब से देती, ये मुफ्तखोरी ना होकर भगवान का प्रसाद होता।


* जीत गये तो दिल्ली के विद्यालयों में देशभक्ति का पाठ्यक्रम लागू करेंगे।
माने????? अभी तक दिल्ली के बच्चों में देश भक्ति की कमी है???
वहाँ के अध्यापक देश द्रोह सिखाते हैं क्या???? मतलब कुछ भी!!! हद है ।


* और जो लोग हिंदू राष्ट्र बनाकर मुसलमानों या उनके शुभचिंतकों को पाकिस्तान भेजने की बात करते हैं अपने नेताओं के भड़काने पर, ज़रा एक बार अपनी सरकार के विचार जान लें 38 नम्बर पन्ने पर ....... सारे भ्रम दूर हो जायेंगे ( मदरसों को उच्च संसाधन, कब्रस्तानों के रखरखाव के लिये अनुदान !!!!! ये दोहरा चरित्र क्यों?? देश को भड़का के बाँट रहे और खुद मसीहा बन रहे??)
दिल्ली की जनता मुफ्तखोर और गद्दार नहीं है, बिना काम किये जीतने की इच्छा रखने वाले लोग ह_ _खोर हैं ।


बंदा काम कर रहा था तो कहते थे हिंदु धर्म के खिलाफ़ है, बंदा मंदिर गया तो भी लोगों को चैन न था । और आखिरकार हनुमान जी ने बड़ा वाला लड्डू दे ही दिया। भगवान ने भी स्पष्ट कर दिया कि धर्म किसी के पिताजी की जागीर नहीं है ।बजरंग बली ने तो साथ छोड़ दिया, अब राम जी को देखे रहना भईया, कहीं भक्त के पीछे भगवान भी न चले जायें।


जो लोग इस सच्चाई को स्वीकारने के बजाय आज भी केजरीवाल को अपशब्द कह रहे हैं........ ध्यान रहे, कभी आपका अपना बच्चा भी दिल्ली या किसी अन्य मेट्रो शहर में पढ़ने, काम करने, बसने गया, और उसके विचार आपसे भिन्न हो गये, उसने किसी गैर भाजपा सरकार की सराहना की या वोट दिया, तो क्या यही अपशब्द आप अपने बच्चे को भी कहेंगे????? और ये तो होना ही है, सिर्फ बातों की राजनीति बहुत दिन नही चलती । जनता को काम चाहिये, सुविधाएं चाहिये ।
मेरे टैक्स के पैसे से जरूरतमंदों को मुफ्त शिक्षा, चिकित्सा, अन्य सुविधाएं मिलें तो अच्छा है । नेताओं के फिज़ूल विदेश यात्राओं,सरकारी पैसों से भव्य आयोजनों, हज़रों करोड़ की मूर्तियाँ और सरकार की उपलब्धियाँ गिनवाते झूठे विज्ञापनों पर देश का पैसा बर्बाद करने से तो बेहतर है ।
काम करोगे तो ढंढोरा पीटने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी, वर्ना नाकामी छुपाने के लिये तो लोग दीवारें खड़ी करते रह जायेंगे।


आज केजरीवाल की शालीनता, स्टेज पर आम लोगों की नुमाइंदगी, ने ये संदेश दे दिया कि वे राजनीति को पीछे रख, काम करने के इच्छुक हैं....... हर  धर्म-समुदाय  के लोगों के साथ स्टेज से “वन्दे मातरम् “, “भारत माता की जय” का नारा लगाकर उन्होंने साबित कर दिया कि कर्म ही सबसे बड़ा धर्म और असल देशप्रेम है, जो हर समुदाय को एक सूत्र में पिरोता है ।
 
मोदीजी गौर करें, शायद उत्तराधिकारी मिलने वाला है देश को उनका ।


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