सीएम उद्धव ठाकरे औपचारिक तौर पर पीएम नरेंद्र मोदी से मुलाकात

भारत दौरे पर आ रहे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के स्वागत को लेकर विशेष तैयारियां की जा रही हैं। उनके स्वागत के लिए अहमदाबाद शहर को सजाया संवारा जा रहा है। वही शाहीन बाग में प्रदर्शन अभी भी जारी हैं। सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त वार्ताकार तीसरे दिन भी प्रदर्शनकारियों से मिले और उन्हें समझाने की नाकाम कोशिश की। जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग में सुरक्षाबलों और आतंकियों के बीच शुक्रवार आधी रात में हुई मुठभेड़ में दो आतंकी मारे गए हैं। मारे गए दोनों आतंकी लश्कर-ए-तैयबा के हैं जिनके पास से बड़ी मात्रा में हथियार और गोला बारूद भी बरामद हुआ है।
 भारत और न्यूजीलैंड के बीच दो टेस्ट मैचों की सीरीज का पहला मुकाबला खेला जा रहा है। दोनों टीमें वेलिंगटन के बेसिन रिजर्व स्टेडियम में आमने-सामने है। आज टेस्ट मैच का दूसरा दिन है।

गद्दी संभालने के बाद महाराष्ट्र के सीएम उद्धव ठाकरे औपचारिक तौर पर पीएम नरेंद्र मोदी से मुलाकात की। वैसे तो यह औपचारिक मुलाकात है। लेकिन महाविकास अघाड़ी सरकार में खींचतान के बीच यह मुलाकात अहम है। पीएम से मिलने के बाद उद्धव ठाकरे ने कहा कि महाराष्ट्र के विकास के मुद्दों के साथ साथ सीएए, एनपीआर और शाहीन जैसे विषय भी चर्चा में शामिल रहे।


उत्तर उप्रदेश के बांदा जिले में महाशिवरात्रि के पर्व पर शुक्रवार को करीब डेढ़ लाख से ज्यादा श्रद्धालुओं ने कालिंजर दुर्ग की सरगोह में विराजमान भगवान नीलकंठ के दर्शन किये और उनका दुग्धाभिषेक किया। नरैनी की उपजिलाधिकारी (एसडीएम) वंदिता श्रीवास्तव ने बताया कि कालिंजर दुर्ग की सरगोह में विराजमान भगवान नीलकंठ के दर्शन और दुग्धाभिषेक के लिए शुक्रवार सुबह से ही श्रद्धालुओं का तांता लग गया था, जो दिनभर चला। उन्होंने कहा कि एक अनुमान के अनुसार करीब डेढ़ लाख श्रद्धालु नीलकंठ के दर्शन कर चुके हैं।


उत्तर प्रदेश के हमीरपुर में अज्ञात कारणों के चलते युवक ने खुद को मारी. मृतक का शव एक खेत में मिला, शव के पास सुसाइड नोट भी पुलिस को मिला है. पुलिस मौके पर शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है. भरुआ समेरपुर थाना  क्षेत्र के पंधरी गाँव का मामला है. 


 मोतिहारी के चकिया में तिहरे हत्याकांड की एक बड़ी वारदात घटित हुई है जहां घर मे सोए गर्ववती महिला सहित उसके दो मासूम बच्चो की निर्मम हत्या कर दी गयी है। मोतिहारी में  अपराधी बेखौफ हो चुके है व प्रसाशन हाँथ में हाँथ धरे बैठी है। कल देर रात बेखौफ अपराधियो ने फिर से एक बड़ी घटना को अंजाम दिया व  तीन तीन लोगों या यूं कहें कि एक साथ चार की जान ले ली है क्योंकि मृतिका गर्व से भी थी व उसके पेट मे भी एक बच्चे की हत्या हुई है।


झुमरीतिलैया। कोडरमा गया रेलखंड के कोडरमा से गझंडी स्टेशन के बीच एक 19 वर्षीय युवक ने रेल से कटकर अपनी जान दे दी। इस संबंध में रेल थाना प्रभारी शंभू प्रसाद ने बताया कि मृतक की पहचान राजू कुमार उम्र 19 वर्ष पिता रामाशीष मेहता तड़ी खाब निवासी थाना अंबा जिला औरंगाबाद के रूप में हुई है। मृतक इंटर का छात्र था।और सीतामढ़ी में रह रहा था।थाना प्रभारी ने बताया कि वह इधर घर आया हुआ था।और अपने घर वालों से रांची जाने की बात कह कर औरंगाबाद से निकला था। और सुसाइड की घटना को अंजाम दिया।परिजनों के अनुसार राजू डिप्रेशन में रहता था।इसी कारण उसने सुसाइड कर ली। मृतक के पास से उसका आधार कार्ड और मोबाइल बरामद हुआ। जिसके आधार पर उसके परिजनों को खबर दी गई।21 फरवरी की सुबह परिजन पहुंचे जिसके बाद आवश्यक कार्रवाई कर शव को परिजनों को सौंप दिया गया। इस संबंध में रेल थाना में एक यूडी वाद दर्ज किया गया हैं।


हिदेयुकी ने पिछले एक साल में कितनी छुट्टियां ली हैं, इसे वह उंगलियों पर गिन सकते हैं.बेटी के स्कूल में दाख़िले के लिए अप्रैल में एक दिन की छुट्टी और नवंबर में आधे-आधे दिन की दो छुट्टियां. इतनी छुट्टियां उनके लिए सामान्य से ज़्यादा हैं.टोक्यो की एक टेक्नोलॉजी कंपनी में काम करने वाले 33 साल के इंजीनियर वास्तव में 20 छुट्टियों के हकदार हैं. लेकिन, दूसरे कई जापानी श्रमिकों की तरह उनके पास भी न्यूनतम से ज़्यादा छुट्टी लेने का विकल्प नहीं है, क्योंकि उनके दफ़्तर की संस्कृति इसकी इजाज़त नहीं देती. हिदेयुकी के 2 बच्चे हैं- एक 6 साल का और दूसरा 4 साल का. वह अपना पूरा नाम नहीं बताते क्योंकि इससे उनके ऑफिस में दिक़्क़त हो सकती है. हम ऑफ़िस से ज़रूरी छुट्टियां क्यों नहीं ले पाते हैं? ऑफ़िस में दादागिरी झेल रहे लोगों पर कैसा ख़तरा. संघ का 'दो बच्चों वाला प्लान' कितना काम करेगा
क्या फालतू की बैठकों में आपका वक़्त ज़ाया होता है?
"मैं नहीं चाहता कि मेरे मैनेजर मेरे बारे में कुछ बुरा कहें. कुछ बुरा सुनने से अच्छा है कि काम करते रहो." जापान में कर्मचारी छुट्टियां ही नहीं लेते. यह एक महामारी की तरह हो गया है. नये सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 2018 में श्रमिकों ने अपनी सालाना छुट्टियों में से सिर्फ़ 52.4 फीसदी छुट्टियां लीं. इसकी मुख्य वजह अपराध बोध है. "मैं छुट्टी लेने वाला अकेला नहीं हो सकता" . "जापान" और "छुट्टी"- ये दोनों शब्द शायद ही किसी एक वाक्य में मिलते हैं और इस पर हैरानी भी नहीं होती. यह देश लगातार काम करने की संस्कृति के लिए जाना जाता है. काम के बाद कर्मचारियों का रात की आख़िरी ट्रेन पकड़ना आम बात है.


जापान में ही 1970 के दशक में "कारोशी" शब्द की उत्पत्ति हुई थी, जिसका मतलब है "काम करते-करते मर जाना". दुर्भाग्य से जापान में आज भी ऐसा होता है. हितोत्सुबाशी यूनिवर्सिटी में एचआर के प्रोफेसर हिरोशी ओनो जापान की कार्य संस्कृति के विशेषज्ञ हैं. वह कहते हैं, "पश्चिमी समाज व्यक्तिवादी है जबकि जापानी समाज समूहवादी है."


"कई लोग छुट्टियां नहीं लेते क्योंकि उनके बॉस छुट्टी नहीं लेते या उनको समूह का सद्भाव बिगड़ने का डर होता है." हिदेयुकी जैसे तकनीकी श्रमिकों के लिए छुट्टी न लेना कामकाजी जीवन का सामान्य हिस्सा है. वह कहते हैं, "मैंने परिवार, सेहत या खुशी पर इसके असर के बारे में कभी नहीं सोचा." उनकी कंपनी में करीब 30 कर्मचारी हैं. मानसिक बीमारी के कारण एक सहकर्मी पहले से ही लंबी छुट्टी पर है और स्टाफ की कमी हो रही है. ऐसे में उनको लगता है कि यदि एक आदमी पूरे दिन की छुट्टी ले ले तो दूसरे स्टाफ पर बोझ बढ़ जाता है. "मैनेजर छुट्टी नहीं लेते और वे देर तक काम करते हैं. दूसरा कोई भी आदमी छुट्टी नहीं ले रहा. मैं छुट्टी लेने वाला अकेला आदमी नहीं हो सकता."


हिदेयुकी की पत्नी सयाका कहती हैं, "वह कभी छुट्टी नहीं लेता, भले ही वह बीमार हो." 38 साल के त्सुयोशी गुनमा प्रांत में एक रेस्तरां बिज़नेस के फ्रंट डेस्क चीफ़ हैं. वह चार साल से नौकरी कर रहे हैं, लेकिन कभी यह जानने का प्रयास नहीं किया कि वह कितनी छुट्टियां ले सकते हैं.


"मैं सालाना शून्य से दो छुट्टियां लेता हूं. सबसे हाल में मैंने अगस्त में छुट्टी ली थी जब मुझे बुखार हो गया था." आम तौर पर जापान में बीमारी की छुट्टी नहीं होती. छुट्टी लेने पर सहकर्मियों की प्रतिक्रिया के बारे में पूछने पर वह कहते हैं, "उनकी प्रतिक्रिया नकारात्मक होगी. वे सामने कुछ नहीं कहेंगे लेकिन पीठ पीछे बुराई करेंगे. मैंने किसी सहकर्मी को अपनी सारी छुट्टियां लेते नहीं देखा." "हमारी संस्कृति में अगर आप छुट्टी नहीं लेते और कड़ी मेहनत करते हैं तो आप बेहतर माने जाते हैं. लोग छुट्टियां लेने को बुरी चीज समझते हैं."


जापान की कार्य संस्कृति का मसला प्रधानमंत्री शिंज़ो आबे के एजेंडे में ऊपर है. सरकार के नये वर्क स्टाइल रिफॉर्म बिल में इसकी झलक मिलती है. इस बिल को जापान की संसद ने 2018 में पास किया था और अप्रैल 2019 से इसे लागू कर दिया गया है. यह बिल जापान में काम करने के तरीके को आधुनिक बनाने के उनके प्रयासों की बुनियाद है. इसमें आठ प्रमुख श्रम क़ानूनों में संशोधन किए गए हैं. इसमें जिन कर्मचारियों के खाते में कम से कम 10 छुट्टियां बच गई हों उनको कम से कम 5 दिन छुट्टी पर भेजने का प्रावधान शामिल है.जापान सरकार का लक्ष्य है कि 2020 में सालाना छुट्टियां लेने की दर 70 फीसदी हो जाए. स्वास्थ्य, श्रम और कल्याण मंत्रालय के वर्क एंड लाइफ़ हार्मोनाइजेशन डिविजन के डायरेक्टर सुसुमु ओदा कहते हैं, "श्रमिकों को मानसिक और शारीरिक दोनों तरह से तरोताज़ा रखने के लिए छुट्टियां बहुत अहम हैं." वह कहते हैं, "यह व्यवस्था अप्रैल से लागू है. अभी इसके प्रभाव का पता नहीं है. हमने पोस्टर और पर्चे तैयार कराए हैं. हमने कंपनियों और कर्मचारियों से छुट्टी को प्रोत्साहित करने की अपील की है."


जापान के लोगों के काम करने की आदतों को बदलना चुनौतियों से भरा है, क्योंकि ये आदतें समाज में गहराई में बैठी हुई हैं. ट्रैवेल बुकिंग कंपनी एक्सपीडिया के अध्ययन से यही बात सामने आती है. 2018 की रिपोर्ट में सालाना छुट्टियां लेने के मामले में जापान 19 देशों और क्षेत्रों में सबसे नीचे रहा. यहां के श्रमिक अपनी सालाना छुट्टियों का आधा ही लेते हैं- 20 में से केवल 10 दिन. 58 फ़ीसदी जापानी कर्मचारियों के मन में छुट्टी को लेकर अपराधबोध होता है.


सिर्फ़ 43 फ़ीसदी कर्मचारियों को लगता है कि उनके बॉस छुट्टियां देने में मददगार हैं- यह दुनिया में सबसे कम है. जापान में एक्सपीडिया की जनसंपर्क प्रमुख अकिना मुराई कहती हैं, "पीढ़ियों के बीच स्पष्ट अंतर है." "18 से 34 साल के 62 फ़ीसदी जापानियों को लगता है कि वे छुट्टियों से वंचित हैं. 50 साल से बड़े सिर्फ़ 40 फ़ीसदी लोग ऐसा महसूस करते हैं." पीढ़ियों के बीच का यह अंतर दिखाता है कि युवा कर्मचारी अधिक छुट्टियां लेना चाहते हैं, लेकिन उनके सीनियर्स इसमें रोड़ा बनते हैं क्योंकि वे अलग तरह से सोचते हैं. योशी कोमुरो उन लोगों में शामिल हैं जो इसे बदलने की कोशिश कर रहे हैं. वह टोक्यो की सलाहकार कंपनी वर्क लाइफ़ बैलेंस की संस्थापक हैं. उन्होंने प्रधानमंत्री के कैबिनेट कार्यालय और जापान पोस्ट कूरियर कंपनी को भी सलाह दी है. इस कंपनी ने टॉप मैनेजमेंट स्टाफ़ का एक वीडियो जारी किया है जिसमें वे काम के चलते परिवार को मिस करने की बात कह रहे हैं.


जापान में सालाना छुट्टियों की दर कम होने के बारे में कोमुरो कहती हैं, "यदि हम ग़हराई से देखें तो ज़रूरी नहीं कि उनके पास कर्मचारियों की कमी हो. वे एक-दूसरे की मदद नहीं करते. उनको इसकी आदत नहीं है और उनको इसका प्रशिक्षण नहीं मिला है." "कर्मचारी अगर आपस में सकारात्मक संवाद करना, सूचनाएं साझा करना, एक-दूसरे की मदद करना और छुट्टियों के कारण काम पर बुरा असर नहीं पड़ने की पुष्टि करना शुरू कर देते हैं तो वे ज़्यादा छुट्टियां लेने लगते हैं."


योशी कोमुरो ने एक बड़ी कंपनी को अधिक खुला माहौल बनाने में मदद की है, जहां के कर्मचारी अब कार्यशैली को बदलने पर चर्चा करने में सहज हो गए हैं. नतीजा क्या रहा? ओवरटाइम के घंटे 15 फीसदी कम हो गए और छुट्टियां लेने की दर 61 फीसदी तक बढ़ गई. योशी कोमुरो नये क़ानून को जापानी श्रम क़ानूनों के इतिहास में बड़ा क़दम मानती हैं, लेकिन छुट्टियों की कम दर देश की कार्यशैली का सिर्फ़ एक पहलू है. असल बदलाव लाने के लिए वह देश में जन्मदर बढ़ाने, बच्चे के जन्म पर पिता को भी छुट्टी देने और महिलाओं व बुजुर्गों के अनुकूल माहौल बनाने पर जोर देती हैं. "जापान बदलने लगा है, लेकिन बदलाव आसान नहीं है."


 


दफ़्तरों की शैली को बदलने के लिए ज़मीनी स्तर पर भी बदलाव की कोशिशें हो रही हैं. ओसाका में एक बौद्ध भिक्षु ने बची हुई छुट्टियों का शोक मनाने के लिए श्रद्धांजलि कार्यक्रम कराया. इसमें छुट्टियों से वंचित जापान के श्रमिकों के खोये हुए सपनों को श्रद्धांजलि दी गई. 300 से ज़्यादा लालटेन जलाए गए. सब पर कर्मचारियों का एक-एक संदेश था जिसमें पिछले कई वर्षों में छुट्टी नहीं लेने के बारे में उनकी भावनाएं दर्ज थीं. एक संदेश में लिखा था- "मेरे बच्चे की बर्थडे पार्टी में सात महीने की देर हो गई." अन्य संदेशों में लिखे थे- "दादा-दादी की मृत्यु के बाद मैं उनको गुडबाय नहीं कह सका" और "मैं हर साल 90 फ़ीसदी छुट्टियां लिए बिना ही रिटायरमेंट की उम्र में पहुंच गया." उस इवेंट के पीछे ओसाका की विज्ञापन कंपनी निंगेन इंक थी. उसकी क्रिएटिव डायरेक्टर शिबोरू यामने कहती हैं, "हम चाहते थे कि लोग उन लालटेनों के जरिये कल्पना करें कि वे अपनी छुट्टियों के साथ क्या कर सकते थे." "कई मामलों में काम करने का क्रूर माहौल मानसिक बीमारियों की ओर, यहां तक कि मृत्यु की तरफ़ भी ले जाता है. जापान में यह बहुत बड़ी समस्या है."


सितंबर में जापान के पर्यावरण मंत्री शिंजिरो कोइज़ुमी ने पिता बनने पर पितृत्व अवकाश लेने की सोची तो उनको भारी विरोध का सामना करना पड़ा. यहां तक कि उनका इस्तीफ़ा भी मांगा गया. उम्मीद युवा कर्मचारियों से है. हितोत्सुबाशी यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर ओनो के मुताबिक युवा पुरानी पीढ़ी के तौर-तरीकों को ख़ारिज कर रहे हैं. वह कहते हैं, "सामाजिक सर्वेक्षणों से संकेत मिलते हैं कि युवा श्रमिक बूढ़े कर्मचारियों की तरह ज़्यादा देर तक काम करने के पक्ष में नहीं हैं." "वास्तव में देर तक काम करने की संस्कृति शोवा काल (1926 से 1989) की देन है. इसकी शुरुआत के वक़्त माना गया था कि पुरुष कंपनी के काम में लगे रहेंगे और घर पर उनकी पत्नी परिवार और बच्चों की देखरेख करेगी."


"वे दिन बहुत पहले ही बीत चुके हैं. काम करने की शैली में सुधार जब पूरी तरह लागू कर दिया जाएगा, तब शोवा-शैली को आख़िरी विदाई मिल जाएगी."


 


Rajnath Singh lays foundation stone of new Army HQ building

For first time, no Opposition delegation to meet US Prez during official visit


Mumbai cops had intel on killing of Gulshan Kumar: Rakesh Maria

No one needs to fear about CAA, NPR: Maha CM Thackeray after meeting PM Modi


Uddhav Thackeray meets PM Modi

FATF continues Pak in 'Grey List'; warns of action if it fails to check terror funding


Daughter Ivanka and son-in-law Jared to accompany Donald Trump to India

Sisodia meets FM Nirmala Sitharaman, demands Delhi's share in Central taxes


TN police begins probe in 'Indian 2' accident

Delhi Metro: Services at Yellow Line resume after brief halt


Pragyan Ojha retires from international cricket
Pragyan Ojha retires from international cricket

Vice President Naidu, PM Modi greet people on occasion of Maha Shivratri


For first time, no Opposition delegation to meet US Prez during official visit


Mumbai cops had intel on killing of Gulshan Kumar: Rakesh Maria

No one needs to fear about CAA, NPR: Maha CM Thackeray after meeting PM Modi.


टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

पेंशनरों की विशाल सभा

विश्व रजक महासंघ का आयोजन

जातीय गणना के आंकड़े जारी