कमलनाथ सरकार को विश्वासमत हासिल करना है

 


 


 कोरोना के कहर से निपटने के लिए भारत में केंद्र और राज्य सरकारों की तरफ से तमाम उपाय किए जा रहे हैं। इन सबके बीच कोरोना के मरीजों की संख्या 100 के पार जा चुकी है, हालांकि राहत की बात यह है कि कुछ मरीजों की सेहत में सुधार है। 


मध्य प्रदेश के राजनीतिक संकट पर भी है जहां कमलनाथ सरकार को विश्वासमत हासिल करना है।  दुनिया भर में 137 देशों में फैल चुका कोरोना वायरस भारत में भी अपना पैर फैला चुका है। दिल्ली का पहला मरीज ठीक हो चुका है .​


उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बीजेपी के लिहाज से एक खास उपलब्धि करने जा रहे हैं। वर्ष 2017 में प्रचंड जीत हासिल करने के बाद जब बीजेपी ने यूपी में सीएम पद के नामों पर चर्चा की तो कई नाम सामने आए और फाइनली प्रदेश की कमान तत्कालीन गोरखपुर के सांसद योगी आदित्यनाथ को दी गई। योगी आदित्यनाथ ने 19 मार्च, 2017 को मुख्यमंत्री के रूप में प्रदेश की कमान संभाली और तब से वह लगातार अपने कार्यों की वजह से सुर्खियों में बने हुए हैं। इसी 19 मार्च को योगी के खाते में एक विशेष उपलब्धि जुड़ने वाली है। दरअसल योगी आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश में बीजेपी के ऐसे पहले मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं जिन्होंने तीन साल का कार्यकाल सफलतापूर्व पूरा किया। इससे पहले आज तक बीजेपी का कोई भी नेता मुख्यमंत्री के रूप में यूपी में तीन साल तक का कार्यकाल पूरा नहीं कर सका है। योगी से पहले बीजेपी के जो नेता यूपी के सीएम रह चुके हैं उनमें केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह, पूर्व राज्यपाल कल्याण सिंह तथा राम प्रकाश गुप्ता शामिल हैं। ये तीनों नेता कभी भी 3 साल का कार्यकाल पूरा नहीं सके थे।आदित्यनाथ ने 19 मार्च, 2017 को उत्तर प्रदेश के 21 वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी। वह भगवा पार्टी से इस राज्य में नेतृत्व करने वाले चौथे मुख्यमंत्री हैं। योगी आदित्यनाथ से पहले, कल्याण सिंह, राम प्रकाश गुप्ता और भाजपा के राजनाथ सिंह ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया था लेकिन तीनों ही अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा नहीं पाए थे। कल्याण सिंह तो दो बार मुख्मयंत्री की कुर्सी पर आसीन रहे। पहली बार वह 24 जून 1991 को यूपी के मुख्यमंत्री बने और 6 दिसंबर 1992 तक इस पद पर रहे। उनका दूसरा कार्यकाल 21 सितंबर 1997 से 12 नवंबर 1999 तक था। कल्याण सिंह के बाद राम प्रकाश गुप्ता ने यूपी के मुख्यमंत्री के रूप में कार्यभार संभाला और 12 नवंबर, 1999 से 28 अक्टूबर, 2000 तक यूपी के मुख्यमंत्री रहे। गुप्ता जी के बाद केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह भी यूपी के मुख्यमंत्री रहे और उन्होंने 28 अक्टूबर, 2000 से 8 मार्च, 2002 तक यूपी के मुख्यमंत्री के रूप में दायित्व संभाला। आपको बता दें कि 2017 के यूपी विधानसभा चुनावों में, भाजपा ने 403 सीटों में से 312 सीटें जीतीं थी, जबकि अपना दल (सोनेलाल) ने नौ सीटें और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (एसबीएसपी) ने चार सीटों पर कब्जा किया था।


उत्तराखंड में कोरोना वायरस का पहला मामला दर्ज किए जाने और महाराष्ट्र एवं उत्तर प्रदेश में एक-एक मामले की पुष्टि होने के साथ भारत में इस विषाणु से संक्रमित मरीजों की संख्या रविवार को बढ़ कर 110 हो गई। केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने यह जानकारी दी। कुल संख्या में कोरोना वायरस से संक्रमित हुए वे दो मरीज भी शामिल हैं, जिनकी दिल्ली और कर्नाटक में मौत हो चुकी है।


हाल ही में सऊदी अरब से लौटे कर्नाटक के कलबुर्गी निवासी 76 वर्षीय व्यक्ति की बृहस्पतिवार (12 मार्च) को मौत हो गई थी। इसके अलावा दिल्ली में रहने वाली 68 वर्षीय एक महिला कोरोना वायरस से संक्रमित पाई गई थी, जिसकी शुक्रवार (13 मार्च) रात राम मनोहर लोहिया अस्पताल में मौत हो गई। उत्तराखंड में रविवार को कोरोना वायरस संक्रमण के पहले मामले की पुष्टि हुई।


दिल्ली में कोरोना वायरस के अब तक सात मामले सामने आ चुके हैं। वहीं उत्तर प्रदेश में 12, कर्नाटक में छह, महाराष्ट्र में 33, लद्दाख में तीन और जम्मू-कश्मीर में दो लोग कोरोना वायरस से संक्रमित हैं। इसके अलावा तेलंगाना में तीन और राजस्थान में दो मामले सामने आए हैं। तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और पंजाब में कोरोना वायरस से संक्रमण के एक-एक मामले दर्ज किए गए हैं।


केरल में कोरोना वायरस के 22 मामले सामने आए हैं। इनमें वे तीन लोग भी शामिल हैं, जिन्हें पिछले महीने इलाज के बाद अस्पताल से छुट्टी दे दी गई थी। मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया कि कुल 110 संक्रमित लोगों में 17 विदेशी हैं। इनमें 16 इतालवी हैं।


 कोरोना वायरस के खतरे पर दक्षेस देशों (SAARC) के वीडियो कान्फ्रेंस के दौरान पाकिस्तान ने कश्मीर के बारे में अवांछित बयान देकर एक मानवीय मुद्दे का राजनीतिकरण करने का प्रयास किया, जो इस तरह के मुद्दों से निपटने में उसके ढुलमुल रवैये को प्रदर्शित करता है। 


वीडियो कान्फ्रेंस का उद्देश्य इस वायरस से एकजुट होकर निपटने का संदेश देना था, लेकिन पाकिस्तान ने इस मौके का इस्तेमाल कश्मीर मुद्दे को उठाने के लिए किया और कहा कि कोरोना वायरस के खतरे से निपटने के लिए जम्मू कश्मीर में सभी तरह की पाबंदी हटा लेनी चाहिए। सूत्रों ने कहा कि पाकिस्तान ने अशिष्ट बनने का चयन किया और वीडियो कान्फ्रेंस का इस्तेमाल राजनीतिक लाभ के लिए किया।


उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ने स्वास्थ्य विषयों (पाकिस्तान के) पर प्रधानमंत्री इमरान खान के सलाहकार एवं संबद्ध विभाग के मंत्री जफर मिर्जा को भेजा, जो बोलने के दौरान सहज नहीं थे। सूत्रों ने कहा कि पाकिस्तान द्वारा मामले को उठाना मानवीय मुद्दे से निपटने में उसके ढुलमुल रवैये को दिखाता है।


एक सरकारी सूत्र ने कहा, 'मुद्दे को उठाना अवांछित था और संदर्भ से परे था। पाकिस्तान ने एक मानवीय मुद्दे का राजनीतिकरण करने का प्रयास किया।' सूत्रों ने कहा कि भारत वीडियो कान्फ्रेंस से पाकिस्तान को अलग रख सकता था लेकिन यह एक मानवीय मुद्दा था, इसलिए इस पड़ोसी देश को आमंत्रित किया गया।
सूत्र ने कहा, ''प्रत्येक नेता ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान का जवाब दिया लेकिन पाकिस्तान ने अपने स्वास्थ्य मंत्री को भेजने का चयन किया, जो उसमें गंभीरता की कमी को दर्शाता है।


सूत्रों ने कहा कि यहां तक कि नेपाल के प्रधानमंत्री के. पी शर्मा ओली ऐसे दिन इसमें शामिल हुए जब उन्हें अस्पताल से छुट्टी मिली थी लेकिन पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान ने इससे दूर रहने का फैसला किया। सूत्रों ने कहा कि जब पाकिस्तान ने (कश्मीर का) मुद्दा उठाया, तब किसी ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।


वहीं, कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने इस वीडियो कान्फ्रेंस में कश्मीर का मुद्दा उठाने को लेकर पाकिस्तान की आलोचना की और कहा कि इस देश को विश्व समुदाय द्वारा अलग-थलग किये जाने की जरूरत है। सिंघवी ने एक ट्वीट कर कहा, 'पाकिस्तान इससे नीचे नहीं गिर सकता। एक मानवीय संकट के समय वह एक जूनियर मंत्री को दक्षेस के राष्ट्रप्रमुखों की बैठक में भेजता है। उसके बाद कश्मीर का मुद्दा उठाता है। उस पर तरस आता है।'
कांग्रेस प्रवक्ता जयवीर शेरगिल ने भी ट्वीट किया, 'कोरोना वायरस से निपटने के लिए दक्षेस की आयोजित बैठक में पाकिस्तान द्वारा कश्मीर का मुद्दा उठाना उसके शासन के 'खराब और दयनीय' मानक के साथ-साथ मानव जाति के लिए खतरे वाले वैश्विक संकट की इस घड़ी में भी उसके अदूरदर्शी, गलत, दुर्भावनापूर्ण प्राथमिकताओं को दिखाता है, जो चौंकाने वाला और शर्मनाक है।' उन्होंने दक्षेस देशों के वीडियो सम्मेलन के संबंध में मोदी सरकार की पहल की प्रशंसा भी की।

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