यूक्रेन पर रूस के हमले को लेकर मंडराते खतरे

 

 

पांच राज्यों में हो रहे विधानसभा चुनाव के बीच इलेक्शन कमीशन ने चुनाव प्रचार में और ढील दी। कोरोना के मामलों में गिरावट के साथ ही चुनाव प्रचार का समय चार घंटे बढ़ाया। अब सभी पार्टियां सुबह 6 बजे से रात 10 बजे तक प्रचार कर सकेंगी।

पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में गोवा, उत्तराखंड के लिए चुनाव प्रचार थम चुका है। सोमवार को राज्यों में सभी सीटों पर वोटिंग होगी।  उत्तर प्रदेश में दूसरे चरण  की वोटिंग होगी।

ममता बनर्जी  की पार्टी में सब कुछ अच्छा नहीं चल रहा है। नेशनल वर्किंग कमेटी में भतीजे  अभिषेक बनर्जी की एंट्री हो गई है, वहीं  दिग्गज नेता डेरेक ब्रॉयन तथा सौगत रॉय को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है।

 यूक्रेन पर रूस के हमले को लेकर मंडराते खतरे के बीच रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने एक बार फिर फोन पर लंबी बातचीत की। दोनों के बीच तकरीबन एक घंटे तक बातचीत हुई। बाद में अमेरिका की ओर से कहा गया कि उसे खुफिया सूत्रों से पता चला है कि रूस बहुत जल् यूक्रेन पर हमला कर सकता है। अगर ऐसा होता है तो इसका अंजाम व्यापक 'मानवीय त्रासदी' के रूप में सामने आएगा।

रूस और नेटो के बीच बढ़ते तनाव के बीच भारत के लिए किसी का पक्ष लेना मुश्किल हो गया है. लिहाजा वह संतुलन बनाने की कोशिश में लगा है. अमेरिका और रूस दोनों भारत के रणनीतिक साझीदार हैं. लेकिन क्या यूक्रेन पर रूस और अमेरिका की अगुआई वाले नेटो के बीच चरम पर पहुंच चुके तनाव को देखते हुए वह राजनयिक बैलेंस बनाने में कामयाब होगा.दरअसल इस मामले में अमेरिका भारत को अपने पाले में देखना चाहेगा. लेकिन भारत रणनीतिक तौर पर रूस का भी करीबी है. वह लंबे वक्त से रूसी रक्षा उपकरणों और हथियारों का खरीदार रहा है. इसलिए रूस पर उसकी निर्भरता बनी हुई है. इसके साथ ही उसे चीन के आक्रामक रुख का भी सामना करना पड़ता है. इस लिहाज से भी रूस का साथ जरूरी है. अमेरिका और रूस के बीच संतुलन बनाए रखने की कोशिश में ही उसने 31 जनवरी को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में यूक्रेन तनाव पर चर्चा के लिए होने वाली वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया. लेकिन जब चर्चा हुई तब वहां मौजूद भारत के प्रतिनिधि ने इस तनाव को कम करने और क्षेत्र में स्थायी शांति और स्थिरता की अपील की. यूक्रेन पर रूस और अमेरिका के बीच तनाव बढ़ने से भारत को लिए पसोपेश की स्थिति है. भारत ऐसी स्थिति नहीं चाहेगा, जिसमें उसके दोनों सहयोगी आपस में टकरा जाएं. अगर ऐसा हुआ तो भारत को किसी एक पाले में आना होगा और यह उसकी रणनीतिक स्वायत्तता को बड़ा झटका दे सकता है. बदलते भू-राजनीतिक समीकरण में भारत के लिए यह मुश्किल घड़ी होगी. कूटनीतिक मामलों के जानकार इस मामले में मीडिया में खुल कर अपनी राय रख रहे हैं. भारतीय सेना के रिटायर्ड मेजर जनरल हर्ष कक्कड़ ने 1 फरवरी को भारतीय अंग्रेजी अखबार स्टेट्समैन में लिखा ''भारत के लिए निष्पक्ष रहना सबसे बढ़िया विकल्प है. इसमें कोई शक नहीं है कि भारत की निष्पक्षता ने अमेरिका को चिढ़ा दिया है. अगर भारत ऑकस (AUKUS) का सदस्य होता तो उसे अमेरिका का समर्थन करना ही पड़ता है. ऑकस में ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन और अमेरिका शामिल हैं. भारत अपनी सैन्य जरूरतों के लिए रूस पर बहुत ज्यादा निर्भर है. भारत अपने सैनिक साजो-सामान का 55 फीसदी रूस से ही खरीदता है. भारत रूस से S-400 मिसाइल सिस्टम खरीदना चाहता है लेकिन अमेरिका ने इसे लेकर आपत्ति जताई है. अमेरिका भारत पर इस सौदे को रद्द करने का दबाव बनाता रहा है. लेकिन भारत का कहना है कि उसकी विदेश नीति स्वतंत्र है और हथियारों की खरीद के मामले में वह राष्ट्रहित को तवज्जो देता है. यूक्रेन के मामले में रूस का अमेरिका से तनाव और बढ़ा और उस पर प्रतिबंध लगाए गए तो चीन से उसकी नजदीकी और बढ़ जाएगी. इससे रूस और चीन में सैन्य सहयोग भी तेजी से बढ़ेगा. अगर भारत ने यूक्रेन मामले में अमरीका को छिपे तौर पर समर्थन देने की कोशिश की तो इसका रूस के साथ उसके संबंधों पर गहरा असर होगा. यह ध्यान रखना चाहिए कि भारत और चीन के बीच सीमा विवाद के मामले में रूस ने अभी तक किसी का पक्ष नहीं लिया है. भारत को उम्मीद है कि आगे भी रूस इस मामले में निष्पक्ष बना रहेगा. अंतरराष्ट्रीय मामलों के विश्लेषक रणजय सेन ने 22 जनवरी को अंग्रेजी अखबार ' ट्रिब्यून' में लिखा ''अमेरिका अब तक भारत का सबसे अहम रणनीतिक साझीदार बना हुआ था. भारत को अगर चीन का सामना करना है तो उसके लिए अमेरिका के साथ साझीदारी जरूरी है. अमेरिका के साथ संबंध मजबूत रहे तभी भारत चीन की चुनौती का सामना करने की स्थिति में होगा. लेकिन रूस के भीतर भारत-अमेरिका गठजोड़ को लेकर आशंका बनी हुई है और कम नहीं हो रही है. ''

भारत अफगानिस्तान जैसी स्थिति से बचना चाहेगा. अमेरिका वहां से निकल आया है और तालिबान को मान्यता देने में चीन ने बेहद तेजी दिखाई. इससे अफगानिस्तान में निवेश के मामले में चीन ने भारत से बढ़त ले ली. भारत की योजनाएं खटाई में पड़ गईं. भारत अफगानिस्तान, पाकिस्तान, इराक, ईरान,लीबिया और यहां तक की चीन में अमेरीकी नीतियों की कीमत अदा कर चुका है. रूस में भारत के राजदूत रह चुके कंवल सिब्बल ने 21 जनवरी अपने ट्वीट में कहा '' क्या भारत अमेरिका पर इस बात का दबाव डाल सकता है कि वह यूक्रेन को नेटो की सदस्यता दे. साथ ही क्या वह रूस को भी यूक्रेन पर हमला करने के लिए मना सकता है? भारत की चिंता एक और मामले को लेकर बढ़ेगी क्योंकि यूक्रेन तनाव की वजह से अमेरिका का ध्यान एशिया-प्रशांत क्षेत्र से हट कर पूर्वी यूरोप पर बना रहेगा. नवंबर 2020 में यूक्रेन क्राइमिया में कथित मानवाधिकारों के उल्लंघन के मामले में संयुक्त राष्ट्र में एक प्रस्ताव लाया था. उस वक्त भारत ने इस प्रस्ताव के खिलाफ वोटिंग की थी. इससे पहले 2014 में मनमोहन सिंह सरकार ने क्राइमिया को मिला लेने के बाद रूस पर लगाए गए पश्चिमी प्रतिबंधों का विरोध किया था. बहरहाल, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टी एस तिरुमूर्ति की ओर से यूक्रेन संकट पर 31 जनवरी को दिए गए बयान की अलग-अलग तरह से व्याख्या हो रही है. तिरुमूर्ति ने सुरक्षा परिषद में भारत के रुख को स्पष्ट करते हुए कहा ''भारत चाहता है कि यूक्रेन-रूस सीमा पर तनाव तुरंत कम हो और सभी देशों के जायज सुरक्षा हित बरकरार रहें. ''भारत ने अपने बयान में 'सभी देशों के जायज सुरक्षा हितों' की बात की. लेकिन आम तौर पर यह माना गया कि यह रूस के हितों की पैरवी करने वाला बयान था. '' हालांकि सामरिक और अंतरराष्ट्रीय मामलों की विश्लेषक तन्वी मदान ने भारतीय विदेश मंत्रालय की ओर से पहले किए गए ट्वीट का संदर्भ दिया है, जिसमें यूक्रेन संकट को 'शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाने' की अपील की गई थी. उन्होंने लिखा, '' ऐसा लगता है कि भारत यह सार्वजनिक तौर पर यह कहने जा रहा है : व्लादीमिर ऐसा कुछ मत करना''.फिलहाल ऐसा लगता है कि भारत रूस-यूक्रेन मामले में 'इंतजार करो और देखो' की नीति अपनाएगा. लेकिन अगर रूस ने आक्रामक रवैया अख्तियार किया और अमेरिका के साथ इसका तनाव बड़े संघर्ष में तब्दील हुआ तो भारत को कोई ठोस रुख अपनाना ही पड़ेगा. हालांकि विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसी स्थिति में भी भारत-रूस या भारत-अमेरिका के संबंधों में कोई बड़ा बदलाव नहीं दिखेगा. विदेशी मामलों के विशेषज्ञ जोरावर दौलत सिंह ने  कहा, '' आप यह कैसे उम्मीद करते हैं कि रूस एशिया-प्रशांत या यूरेशिया में चीनी दबदबे को कभी बरदाश्त कर पाएगा. वह कहते हैं, '' अगर दोनों देशों के संबंध मजबूत भी हुए तो भी रूस को चीन का जूनियर पार्टनर बनना मंजूर नहीं होगा

आज आईपीएल 2022 मेगा नीलामी का आज दूसरा दिन . आईपीएल नीलामी दो परिवारों के लिए खुशियों की सौगात लाई। दीपक चाहर को चेन्नई सुपर किंग्स ने अपनी टीम में 14 करोड़ रुपये में शामिल किया। वो आईपीएल इतिहास में सबसे ज्यादा कीमत पर नीलाम होने वाले भारतीय गेंदबाज बने। वहीं उनके भाई लेग स्पिनर राहुल चाहर को पंजाब किंग्स ने 5.25 करोड़ रुपये में अपने खेमे में शामिल किया। इस तरह चाहर परिवार ने कुल 19.25 करोड़ रुपये अपने खाते में शामिल किए।  वहीं हार्दिक पांड्या को गुजरात टाइटन्स की टीम ने 15 करोड़ रुपये में रिटेन किया। वहीं बड़े भाई क्रुणाल को लखनऊ सुपर जायंट्स ने अपनी टीम में 08.25 करोड़ रुपये खर्च करके अपनी टीम में शामिल किया। इस तरह पांड्या ब्रदर्स ने कुल 23.25 करोड़ रुपये आईपीएल से हासिल किए।

आईपीएल ऑक्शन के पहले दिन खिलाड़ियों पर जमकर हुई धनवर्षा। पहली बार 10 खिलाड़ियों की लगी 10 करोड़ से ज्यादा की बोली। ईशान किशन को सबसे ज्यादा 15 करोड़ 25 लाख में मुंबई इंडियंस ने, श्रेयस अय्यर को 12 करोड़ 25 लाख में कोलकाता नाइट राइडर्स ने और दीपक चाहर को 14 करोड़ रुपये में चेन्नै सुपर किंग्स ने खरीदा।

आईपीएल के इतिहास में सबसे महंगे अनकैप्ड खिलाड़ी बने आवेश खान। लखनऊ सुपर जायंट्स ने उन्हें 10 करोड़ रुपये में खरीदा। इससे पहले यह रेकॉर्ड के गौतम के नाम था। गौतम को पिछले सीजन की नीलामी में चेन्नई सुपर किंग्स ने 9 करोड़ 25 लाख में खरीदा था। पहले दिन कुल 74 खिलाड़ियों की लगी बोली।

मशहूर कारोबारी और बजाज के पूर्व चेयरमैन राहुल बजाज का शनिवार को निधन हो गया। आज राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार होगा। 83 साल के राहुल लंबे समय से कैंसर से पीड़ित थे। उन्हें साल 2001 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था।

पश्चिम बंगाल में फिर सियासी घमासान की आहट। बजट सत्र शुरू होने से पहले राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने विधानसभा सत्र अनिश्चितकाल के लिए स्थगित किया। बताया जा रहा है तृणमूल कांग्रेस धनखड़ के खिलाफ प्रस्ताव लाने वाली थी और यह पास भी हो जाता। लेकिन इससे बचने के लिए धनखड़ ने सत्र स्थगित किया है।

देशभर में कोरोना वायरस के मामलों में गिरावट के बीच यूपी सरकार ने जारी की नई गाइडलाइन। सूबे में सोमवार यानी 14 फरवरी से सभी स्कूल खुलेंगे। इस दौरान छात्रों को कोरोना नियमों का पालन करना होगा। इसके अलावा रेस्टोरेंट, होटल, सिनेमा हाल भी पूरी क्षमता से खोलने का निर्णय लिया गया है। अभी स्वीमिंग पूल और वाटर पार्क रहेंगे बंद।

ईएसआईसी (ESIC)से जुड़े कर्मचारियों के लिए सरकार ने किया बड़ा ऐलान। केंद्रीय श्रम मंत्री भूपेंद्र यादव ने बताया अब देश के 15 शहरों में ईएसआई अस्पतालों में फ्री हेल्थ चेकअप की सुविधा मिलेगी। पहले इस लिस्ट में पांच शहर ही शामिल थे। अब इसे बढ़ाकर 15 शहरों तक ले जाया गया है।

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने समान नागरिक संहिता को लेकर बड़ा बयान और वादा किया है। उन्होंने ऐलान किया है कि नई सरकार बनते ही यूनीफॉर्म सिविल कोड की तैयारी शुरू हो जाएगी।

कर्नाटक में हिजाब विवाद के बीच विदेशों के दखल पर भारत सरकार ने कड़ा ऐतराज जताया है। विदेश मंत्रालय की ओर से दो टूक कहा गया कि भारत के आंतरिक मामलों में दखल बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

देश में इस समय हिजाब पर बहस जारी है। इन सबके बीच जबरदस्त बयानबाजी हो रही है। हाल ही में सपा की एक नेता रुबिना खानम ने कहा था कि जो हिजाब पर हाथ डालेगे उसे काट दिया जाएगा। अब उन्होंने कहा कि जो लोग बेटियों के सम्मान के साथ खिलवाड़ करेंगे को हिंदुस्तान में आग लगेगी।

कर्नाटक से हिजाब पर शुरू हुआ विवाद अब देश के कई हिस्सों तक दस्तक दे चुका है। इन सबके बीच सियासत भी हो रही है। लेकिन केरल के गवर्नर आरिफ मोहम्मद खान ने विस्तार से बताया कि कुछ दकियानुसी विचार के लोग इस विषय पर बखेड़ा करने की कोशिश कर रहे हैं।

 उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी को झटका लगा है, उसकी तीसरी पोस्टर गर्ल पल्लवी सिंह ने बीजेपी ज्वाइन कर ली है। पल्लवी कांग्रेस के साथ पिछले करीब काफी समय से जुड़ीं थीं, उन्होंने शनिवार को भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता ले ली।

 हाई-प्रोफाइल महिलाओं से डेटिंग के झांसे में गंवाए 60 लाख, महिला गिरफ्तार.

 राजेश्वर सिंह की पत्नी का तबादला कराने के लिए चुनाव आयोग पहुंची सपा

 ईडी के जॉइंट डायरेक्टर राजेश्वर सिंह अफसरशाही छोड़कर सियासत में चुके हैं। इस समय वह लखनऊ की सरोजनीनगर सीट से भाजपा के उम्मीदवार हैं। राजेश्वर की सियासी पारी के बाद से ही उनकी पत्नी लक्ष्मी सिंह विपक्ष के निशाने पर हैं। दरअसल, लक्ष्मी सिंह, लखनऊ रेंज की आईजी हैं और सरोजनीनगर विधानसभा भी लखनऊ का हिस्सा है। समाजवादी पार्टी लक्ष्मी की शिकायत लेकर चुनाव आयोग पहुंच गई है। उसका आरोप है कि पति को जिताने के लिए आईजी पुलिसकर्मियों और मतदाताओं पर दबाव बना रही हैं। इसलिए, उन्हें दूसरे जिले या रेंज में भेजा जाए। हालांकि, दूसरे पक्ष का कहना है कि सरोजनीनगर विधानसभा लक्ष्मी सिंह के कार्यक्षेत्र का हिस्सा नहीं है। इसलिए, इन आरोपों में कोई दम नहीं है। फिलहाल, अब गेंद चुनाव आयोग के पाले में हैं। उसे तय करना है कि उसे अपना इकबाल बनाए रखने के लिए क्या कदम उठाना है?

उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के खिलाफ समाजवादी पार्टी के टिकट पर पल्लवी पटेल चुनाव लड़ेंगी। वैसे तो पल्लवी पटेल अपना दल (कमेरावादी) में हैं, मगर अखिलेश यादव ने उन्हें सपा के सिंबल पर टिकट लड़ाने का फैसला लिया है। पल्लवी के चुनावी मैदान में आने के बाद इस हाई प्रोफाइल सीट पर मुकाबला दिलचस्प हो गया है। 2012 में केशव मौर्य इस सीट से विधायक बने थे। मगर 2014 में केशव के सांसद बनने के बाद इस सीट पर सपा के उम्मीदवार ने जीत हासिल की थी। हालांकि 2017 में बीजेपी ने इस सीट पर दोबारा कब्जा कर लिया। मगर पल्लवी के आने के बाद यहां मुकाबला इसलिए भी दिलचस्प हो सकता है, उसके पीछे बड़ी वजह यहां का जातीय समीकरण है। सिराथू में करीब 3 लाख 80 हजार 839 वोटर हैं। इसमें से 19% सामान्य जाति के, 33% दलित, 13% मुस्लिम और करीब 34% पिछड़े वर्ग से हैं। पिछड़ों में पटेल मतदाताओं की संख्या इस सीट पर अहम मानी जाती है। यही वजह थी कि जब केशव मौर्य ने इस सीट से नामांकन किया था, तब गठबंधन की साथी और पल्लवी की बहन अनुप्रिया पटेल भी साथ में मौजूद थीं। केशव जहांसिराथू का बेटा होने की बात कर भावनात्मक रूप से वोटरों से जुड़ रहे हैं। वहीं पल्लवी पटेल भी खुद को यहां की बहू बताकर मतदाताओं के बीच अपनी पैठ बनाने की कोशिश कर रही हैं।

अपने लिए राजनीतिक छांव तलाश रहे अमनमणि त्रिपाठी को आखिरकार बसपा में ठिकाना मिल गया है। सोमवार को वह बसपा में शामिल हुए और बसपा ने उन्हें नौतनवा सीट से अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया है। अमनमणि फिलहाल इसी सीट से निर्दल उम्मीदवार हैं।नौतनवा के चुनावी मैदान में बसपा, भाजपा और सपा में टक्कर रही है, लेकिन सबसे ज्यादा चर्चा होती है त्रिपाठी परिवार की। पिछले विधानसभा चुनाव में भी यह सीट खासी चर्चा में थी। पिता अमरमणि त्रिपाठी, मां और वह खुद जेल में थे। अमनमणि पर उनकी पत्नी की हत्या का आरोप था। जेल में रहकर उन्होंने निर्दल प्रत्याशी के तौर पर पर्चा भरा था और बहनों ने प्रचार किया था और उन्हें जीत मिली थी। एक समय था जब त्रिपाठी परिवार की इस इलाके में तूती बोलती थी। अमरमणि त्रिपाठी विधायक और मंत्री रह चुके हैं। मधुमिता शुक्ला हत्याकांड में 2007 में जेल में रहते हुए उन्होंने चुनाव लड़ा था और जीत हासिल की थी। अमरमणि अभी भी जेल में है और उनके साथ उनकी पत्नी मधु मणि भी हैं। 2017 में जब सपा ने टिकट नहीं दिया तब अमनमणि निर्दलीय मैदान में उतर गए थे। इस बार अमनमणि अपने लिए किसी राजनीतिक दल से टिकट चाह रहे थे। माना जा रहा था कि निषाद पार्टी अपने खाते में आई इस सीट पर उन्हें उम्मीदवार बनाएगी। लेकिन निषाद पार्टी ने ऋषि त्रिपाठी को यहां से टिकट दे दिया था।

विधानसभा चुनाव के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ समेत बीजेपी के बड़े नेता लगातार रैलियों को संबोधित कर रहे हैं. ऐसी ही एक रैली को प्रधानमंत्री मोदी ने कन्नौज में संबोधित किया. इस दौरान मोदी विपक्ष पर जमकर निशाना साधते नज़र आए. परिवारवाद के मुद्दे पर उन्होंने कांग्रेस समेत विपक्ष को घेरा. वहीं उत्तराखंड के कोटद्वार में एक रैली को संबोधित करते हुए योगी आदित्यनाथ सीधा राहुल गांधी और कांग्रेस पर ''हिंदुत्व'' को लेकर निशाना साधते दिखे. कन्नौज की रैली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि घोर परिवारवादी पार्टियों ने लोकतंत्र की भावना को बदल दिया है. उन्होंने कहा, ''लोकतंत्र की व्याख्या करते हुए पूरी दुनिया में कहा जाता है कि जनता का, जनता के लिए और जनता द्वारा शासन. हमारे देश की घोर परिवारवादी पार्टियों ने लोकतंत्र की भावना को ही बदल दिया है. उनका मंत्र है परिवार का, परिवार के लिए और परिवार द्वारा शासन.'' गांधी परिवार के नेतृत्व में लगातार कमजोर होती कांग्रेस खुद के साथ ही भारतीय लोकतंत्र को भी क्षति पहुंचा रही है.

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फरवरी की शुरुआत एक बहुत मजबूत पश्चिमी विक्षोभ के साथ हुई जिसने पश्चिमी हिमालय पर भारी बर्फ़बारी दी। वर्षा के रूप में इसका प्रभाव पंजाब से लेकर पश्चिम बंगाल तक भारत के गंगा के मैदानी इलाकों में दिखाई दे रहा था।एक और पश्चिमी विक्षोभ, हालांकि प्रकृति में कमजोर है, 13 फरवरी को पश्चिमी हिमालय पर पहुंच जाएगा। 15 फरवरी तक हल्की बारिश और हिमपात संभव है। 16 से 20 फरवरी के बीच दो और बैक टू बैक सिस्टम आने की उम्मीद है। 16 से 20 फरवरी के बीच गिलगित-बाल्टिस्तान, मुजफ्फराबाद, लद्दाख, जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में बर्फ़बारी और छिटपुट हल्की से मध्यम बारिश की संभावना है। ये पश्चिमी विक्षोभ उत्तरी मैदानों पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालने के लिए पर्याप्त मजबूत नहीं होंगे। हालांकि इन मौसम प्रणालियों के आने और जाने के कारण न्यूनतम में उतार-चढ़ाव हो सकता है। आगमन के दौरान न्यूनतम वृद्धि मामूली रूप से बढ़ सकती है और इन मौसम प्रणालियों के पारित होने के बाद गिर सकती है।

 

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