आखिरी दम तक लड़ीं बेटियां-वुमंस टी-20 वर्ल्ड

 

प्लैनेटरी सोसाइटी ऑफ इंडिया (पीएसआई) ने सोमवार को कहा कि दो सबसे चमकीले ग्रहों-शुक्र और बृहस्पति के संयोजन की खगोलीय घटना दो मार्च की रात आकाश में एक-दूसरे के निकट दिखाई देगी और दोनों ग्रह केवल आधा डिग्री की दूरी पर होंगी। यह ध्यान रखना दिलचस्प है कि एक सप्ताह से अधिक समय से शाम की सैर करने वाले या वाहन चलाने वाले लोग सूर्यास्त के बाद पश्चिमी क्षितिज में दो चमकीले गैर टिमटिमाते तारे जैसी वस्तुओं को देखेंगे।इस बात से अनजान कि क्षितिज के सबसे निकट जो सबसे चमकीला है वह ग्रह शुक्र है और जो उससे ऊपर है वह ग्रह बृहस्पति है। पीएसआई के निदेशक एन श्री रघु नंदन कुमार ने एक विज्ञप्ति में कहा कि सूर्यास्त के बाद यदि कोई 21 फरवरी से दो मार्च तक पश्चिम की ओर आकाश देख सकता है, तो शुक्र और बृहस्पति दोनों हर शाम एक-दूसरे के करीब आते दिखाई देंगे। साथ ही दो मार्च को वे एक-दूसरे के काफी करीब दिखाई देंगे। दो मार्च के बाद, जैसे-जैसे दिन गुजरेंगे ये दोनों ग्रह एक दूसरे से दूर जाते हुए दिखाई देंगे, जैसा कि पृथ्वी के आकाश से देखा जाता है। यह ध्यान रखना बहुत महत्वपूर्ण है कि यह घटना वह सामने लाती है जिसकी कल्पना करना कठिन प्रतीत होता है। क्योंकि दोनों ग्रह पृथ्वी के दोनों ओर अपनी-अपनी कक्षाओं में बहुत दूर सूर्य की परिक्रमा करते हैं। पीएसआई के निदेशक ने कहा, रविवार को शुक्र ग्रह पृथ्वी से 212428976 किमी (21.24 करोड़ किमी) दूर था और बृहस्पति ग्रह पृथ्वी से 84,97,15,905 (84.97 करोड़ किमी) दूर था।19 फरवरी को शाम 7.30 बजे जब पश्चिमी आकाश में इन पिंडों की तस्वीर ली गई तो ये दोनों ग्रह फोटो में एक दूसरे के नीचे/ऊपर दिखाई दिए। वास्तव में ये दोनों ग्रह कल एक दूसरे से 64,14,44,000 किमी (64.14 करोड़ किमी) की दूरी पर स्थित हैं। कुमार ने कहा कि दो मार्च को शुक्र और बृहस्पति दोनों एक दूसरे से 65,94,90,000 किमी (65.94 करोड़ किमी) की दूरी पर होंगे, लेकिन पृथ्वी पर लोगों के लिए ग्रह सूर्यास्त के बाद पश्चिम दिशा में एक दूसरे के निकट दिखाई देंगे।आगामी 28 फरवरी को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस की प्रस्तावना के रूप में, पीएसआई प्लैनेट ग्रुप के सहयोग से हैदराबाद के विभिन्न स्कूलों में ग्रहों के लाइव अवलोकन के साथ-साथ जागरूकता सत्र आयोजित कर रहा है। अनुरोध पर ये सत्र आने वाले महीनों में पूरे भारत में अन्य स्थानों पर भी आयोजित किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि आम जनता व्हाट्सएप पर पीएसआई तक पहुंच सकती है और शुक्र और बृहस्पति के साथ 7993482012 पर अपनी सेल्फी भेज सकती है।

सहकारिता पर वेबिनार में पीएम मोदी आज कृषि और सहकारिता पर बजट के बाद वेबिनार को पीएम नरेंद्र मोदी संबोधित करेंगे।

यूक्रेन के मुद्दे पर वोटिंगयूक्रेन के मुद्दे पर यूएनजीए में हुई वोटिंग में कुल 32 देश गैरमौजूद रहे जिसमें भारत भी शामिल था।

'एशिया की ताकत बढ़ेगी'विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर ने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि एशिया की भूमिका या प्रमुखता बढ़ेगी। एशिया बढ़ रहा है क्योंकि एशिया वैश्विक रहा है, हमें 'एशिया फॉर एशियाइयों' के झांसे में नहीं आना चाहिए, यह बयानबाजी भ्रामक है, आदिम उग्रवाद की अपील करती है। इसके पीछे वास्तव में गहरी रणनीतिक मंशा है।

इंडोनेशिया में भूकंपइंडोनेशिया में तेज भूकंप के झटके महसूस किए गए। रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 6.3 दर्ज की गई।

छत्तीसगढ़ के रायपुर में आज से शुरू होगा कांग्रेस का तीन दिवसीय अधिवेशन

उत्तर कोरिया ने चार क्रूज मिसाइलों का टेस्ट किया: रॉयटर्स

इंडोनेशिया में तेज भूकंप के झटके, रिक्टर स्केल पर 6.3 रही तीव्रता

आज कृषि और सहकारिता पर बजट के बाद वेबिनार को संबोधित करेंगे पीएम मोदी

UN महासभा में यूक्रेन में व्यापक, न्यायसंगत और स्थायी शांति के लिए प्रस्ताव पारित

आज चुनावी राज्य नगालैंड और मेघालय का दौरा कर सकते हैं PM मोदी

हॉलीवुड के फिल्म निर्माता हार्वे विंस्टीन को रेप मामले में 16 साल की जेल

मुंबई: भायखला जेल के बाहर ड्यूटी पर तैनात पुलिस कॉन्स्टेबल ने खुद को गोली मारी

गुजरात के अमरेली में भूकंप के झटके, रिक्टर स्केल पर 3.4 रही तीव्रता

एमसीडी की स्थायी समिति के सदस्यों के चुनाव के लिए बुधवार शाम करीब साढ़े 6 बजे से शुरू हुई सदन की कार्यवाही अगले दिन गुरुवार सुबह 10 बजे तक चली। करीब 22 घंटे से भी ज्यादा वक्त तक चली कार्यवाही के दौरान जमकर हंगामा, हाथापाई और पानी की बोतलें पार्षदों ने एक-दूसरे पर फेंकीं जिसके बाद मेयर ने चुनाव शुक्रवार सुबह 10 बजे तक के लिए टाल दिया। पूरे घटनाक्रम के दौरान करीब 14 बार सदन की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी। आज स्थायी समिति के सदस्यों के चुनाव के लिए दोबारा वोटिंग होगी, लेकिन स्थिति कमोबेश उसी तरह की रहने के आसार हैं यानी आज भी हंगामा तय माना जा रहा है।

कांग्रेस नेता पवन खेड़ा को प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ कथित टिप्पणी से जुड़े मामले में दिल्ली-रायपुर की उड़ान से उतार लिया गया। इसके बाद असम पुलिस ने उन्हें हवाई अड्डे पर गिरफ्तार कर लिया। सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें अंतरिम जमानत पर रिहा करने का आदेश दे दिया। पवन खेड़ा कांग्रेस के राष्ट्रीय महाधिवेशन में भाग लेने रायपुर जा रहे थे। दिल्ली पुलिस के अधिकारी ने बताया, हम सिर्फ असम पुलिस का सहयोग कर रहे थे। खेड़ा को असम पुलिस के अनुरोध पर ही दिल्ली पुलिस ने हिरासत में लिया था। बाद में असम पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया। खेड़ा की गिरफ्तारी के खिलाफ अभिषेक मनु सिंघवी सुप्रीम कोर्ट पहुंचे। कोर्ट ने आदेश दिया कि खेड़ा को 28 फरवरी तक अंतरिम बेल पर रिहा किया जाए। कोर्ट ने खेड़ा को नसीहत भी दी। कोर्ट ने कहा कि बातचीत का एक स्तर होना चाहिए। खेड़ा ने अपने खिलाफ सभी FIR एक साथ करने की गुहार लगाई। इस पर कोर्ट ने असम और यूपी सरकार को नोटिस जारी किया। पीएम पर की गई टिप्पणी के मामले में खेड़ा के खिलाफ असम में केस दर्ज किया गया।

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पवन खेड़ा की गिरफ्तारी को बीजेपी की बौखलाहट करार दिया। उन्होंने ट्वीट किया, दिल्ली से रायपुर, कांग्रेस महाअधिवेशन में भाग लेने जाते खेड़ा को असम पुलिस ने फ्लाइट से उतार दिया। क्या इमरजेंसी थी कि असम पुलिस ने दिल्ली आकर ये काम किया? बीजेपी ने कहा कि पवन खेड़ा के खिलाफ कार्रवाई कानूनी तरीके से हुई। कांग्रेस नेता भ्रम में रहें कि वे कानून से ऊपर हैं। बता दें कि रायपुर में कांग्रेस का महाअधिवेशन आज से शुरू हो रहा है।

प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने एक्साइज पॉलिसी में कथित गड़बड़ियों से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गुरुवार को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के निजी सचिव बिभव कुमार से पूछताछ की। अधिकारियों के मुताबिक पीएमएलए कानून के तहत कुमार का बयान दर्ज किया गया। आरोप है कि दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और बिभव कुमार सहित कम से कम 36 आरोपियों ने कथित घोटाले में हजारों करोड़ रुपये की रिश्वत के सबूत छिपाने के लिए 170 फोन नष्ट किए और उनका इस्तेमाल किया। इसी आरोप पर बिभव कुमार से पूछताछ की गई। दिल्ली की एक्साइज पॉलिसी 2021-22 पिछले साल अगस्त में कैंसल कर दी गई थी। दिल्ली के उपराज्यपाल ने सीबीआई से इस मामले में कथित अनियमितताओं की जांच करने के लिए कहा था। सीबीआई में दर्ज मामले के आधार पर प्रवर्तन निदेशालय ने मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया था।

अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने गुरुवार को कहा कि अमेरिका, भारतीय-अमेरिकी कारोबारी दिग्गज अजय बांगा को विश्व बैंक अध्यक्ष पद के लिए नामित कर रहा है। 63 साल के बांगा जनरल अटलांटिक में वाइस चेयरमैन हैं। इससे पहले वह मास्टरकार्ड के अध्यक्ष और सीईओ रह चुके हैं। उनके पास बिजनेस का 30 से ज्यादा वर्षों का अनुभव है। बांगा को 2016 में पद्म श्री से सम्मानित किया गया था। बाइडन ने कहा, अजय विश्व बैंक का नेतृत्व करने के लिए सही शख्स हैं। उन्होंने बड़ी ग्लोबल कंपनियों में तीन दशक से अधिक का समय बिताया है। उनके पास दुनिया भर के नेताओं के साथ साझेदारी करने का भी एक अच्छा ट्रैक रिकॉर्ड है।

दिल्ली की मंडोली जेल में बंद ठगी के आरोपी सुकेश चंद्रशेखर के सेल में छापेमारी की गई। सेल से डेढ़ लाख रुपये की ब्रैंडेड सैंडल और 80 हजार रुपये की दो जींस बरामद की गईं। छापेमारी की कार्रवाई बीते दिसंबर में की गई थी। इसका विडियो अब सामने आया है। विडियो में छापेमारी के दौरान सुकेश जेल अधिकारियों के सामने रोते हुए दिखाई दे रहा है। विडियो लीक होने पर जेल प्रशासन का कहना है कि इसकी जांच कराई जाएगी। अधिकारियों ने बताया कि विडियो 15 दिसंबर का है। तब सुकेश मंडोली की जेल नंबर-14 में था। फिलहाल वह जेल नंबर-13 में बंद है। उस वक्त इसके पास महंगी ब्रैंडेड सैंडल, जींस मिली थीं। इसको लेकर कार्रवाई भी की गई थी।

पंजाब के अमृतसर जिले में भीड़ की गुरुवार को पुलिस से झड़प हो गई। भीड़ में शामिल लोग कट्टरपंथी उपदेशक अमृतपाल सिंह के समर्थक बताए गए हैं। ये लोग अपने एक साथी की गिरफ्तारी का विरोध करते हुए पुलिस परिसर में घुस गए।करीब आधे घंटे तक पुलिस और भीड़ के बीच झड़प होती रही। घटना में आधा दर्जन पुलिसकर्मी घायल हो गए। हमलावर पूरी तरह हथियारों से लैस थे। अमृतपाल सिंह वारिस पंजाब दे संगठन का मुखी है। हमलावरों की भीड़ लवप्रीत सिंह तूफान की गिरफ्तारी का विरोध कर रही थी, जो अमृतपाल सिंह का करीबी बताया जाता है। हमले के बाद दबाव में आई पंजाब पुलिस ने आरोपी को रिहा करने का ऐलान कर दिया। पंजाब पुलिस ने मारपीट के एक मामले में लवप्रीत तूफान को गिरफ्तार किया था।

मद्रास हाई कोर्ट के उस फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखा है जिसमें हाई कोर्ट ने पलानीस्वामी को एआईएडीएमके का अंतरिम जनरल सेक्रेटरी बने रहने की इजाजत दी थी। पलानीस्वामी अब पार्टी के सर्वोच्च नेता होंगे।

काशी विश्वनाथ मंदिर में मंगला आरती सहित सभी आरतियों का शुल्क बढ़ा दिया गया है। मंगला आरती की टिकट अब 500 रुपये में होगी, जो पहले 350 रुपये थी। सप्तऋषि, श्रृंगार और मध्याह्न भोग आरती की टिकट अब 300 रुपये होगी। बढ़ोतरी एक मार्च से लागू होगी।

बॉम्बे हाई कोर्ट ने जेट एयरवेज के संस्थापक नरेश गोयल और उनकी पत्नी अनिता गोयल के खिलाफ कथित मनी लॉन्ड्रिंग केस में ED की ओर से दर्ज रिपोर्ट (ECIR) रद्द कर दी। एक ट्रैवल एजेंसी ने आरोप लगाया था कि उसे 2018 से एयरलाइन की ओर से विमानों का संचालन बंद करने के बाद 46 करोड़ का नुकसान हुआ था।

शाहदरा के कांति नगर एक्सटेंशन में रहने वाले दो युवकों की ट्रेन की चपेट में आने से मौत हो गई। दोनों युवक बुधवार शाम सोशल मीडिया पर पोस्ट करने के लिए रेलवे लाइन पर विडियो बना रहे थे।

टीम इंडिया की बेटियों को वुमंस टी-20 वर्ल्ड के सेमीफाइनल में पांच बार की चैंपियन ऑस्ट्रेलिया से हार का सामना करना पड़ा। हालांकि टीम इंडिया की बेटियां आखिरी दम तक लड़ीं, लेकिन आखिरी ओवर में उसे 5 रन से हार का सामना करना पड़ा। साउथ अफ्रीका में खेले जा रहे वुमेंस टी20 वर्ल्ड कप 2023 के तहत गुरुवार को दोनों टीमें केपटाउन के न्यूलैंड्स क्रिकेट ग्राउंड पर आमने-सामने थीं। ऑस्ट्रेलिया ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 20 ओवर में 3 विकेट खोकर 172 रन बनाए। जवाब में टीम इंडिया 20 ओवर में 8 विकेट खोकर 167 रन ही बना सकी। इस तरह ऑस्ट्रेलिया ने एक बार फिर टीम इंडिया का वर्ल्ड कप जीतने का सपना तोड़ दिया। यूं ही कोई हरमनप्रीत नहीं बन जाता, सुबह बुखार से तप रही थीं, शाम को मैच खेलने पहुंच गईं कप्तानइस टूर्नामेंट में दोनों ही टीमों का सफर शानदार रहा। एकतरफ जहां ऑस्ट्रेलिया अपने सारे मैच जीतकर यहां तक पहुंची है वहीं भारत ने भी चार में से तीन मैच जीतकर सेमीफाइनल में अपनी जगह पक्की की। भारत महिला टीम: यस्तिका भाटिया, शैफाली वर्मा, जेमिमा रोड्रिग्स, हरमनप्रीत कौर (कप्तान), ऋचा घोष (विकेटकीपर), हरलीन देओल, दीप्ति शर्मा, स्नेह शर्मा, राधा यादव, राजेश्वरी गायकवाड़, रेणुका ठाकुर सिंह, स्मृति मंधाना, शिखा पांडे, देविका वैद्य, अंजलि सरवानी। आखिरी दम तक लड़ीं बेटियां, सेमीफाइनल में 5 रन से मिली शिकस्तऑ. स्ट्रेलिया महिला टीम: मेग लैनिंग (कप्तान), एलिसा हीली (उपकप्तान), डार्सी ब्राउन, एशलेघ गार्डनर, किम गर्थ, हीथर ग्राहम, ग्रेस हैरिस, जेस जोनासेन, अलाना किंग, ताहलिया मैकग्राथ, बेथ मूनी, एलिसे पेरी, मेगन शुट्ट, एनाबेल सदरलैंड, जॉर्जिया वेयरहैम।

पिछले 24 घंटों के दौरान, अरुणाचल प्रदेश में हल्की से मध्यम बारिश और बर्फबारी के साथ एक या दो जगहों पर भारी बारिश और बर्फबारी हुई।सिक्किम, असम, मेघालय और मिजोरम में हल्की से मध्यम बारिश हुई।उप-हिमालयी पश्चिम बंगाल और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह पर हल्की बारिश हुई।पूरे उत्तर प्रदेश, दिल्ली, राजस्थान और गुजरात में दिन और रात के तापमान में गिरावट दर्ज की गई।पूर्वी मध्य प्रदेश और झारखंड में कुछ स्थानों पर और पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार में 1 या 2 स्थानों पर अधिकतम तापमान सामान्य से 5 डिग्री या अधिक अधिक रहा।अगले 24 घंटों के दौरान, अरुणाचल प्रदेश में हल्की से मध्यम बारिश और बर्फबारी के साथ भारी बारिश और बर्फबारी संभव है।सिक्किम और असम में हल्की से मध्यम बारिश हो सकती है।मेघालय, उप-हिमालयी पश्चिम बंगाल, नागालैंड और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में हल्की वर्षा संभव है।हम कम से कम अगले 2 दिनों तक देश के अधिकांश हिस्सों में तापमान में कोई महत्वपूर्ण बदलाव की उम्मीद नहीं करते हैं। इसके बाद उत्तर पश्चिमी भारत में तापमान में वृद्धि होगी।



Reporter Ashok Kumar: 👍👍


विजय कुमार चौधरी डिप्टी कमिश्नर ग्राम विकास उत्तर प्रदेश

सामाजिक क्रान्ति के प्रणेता कर्मयोगी संत गाडगे का जन्म 23 फरवरी सन् 1876 0 को महाराष्ट्र के अमरावती जिले के खासपुर गांव में फाल्गुन माह में कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को महाशिवरात्रि पर्व पर एक साधारण से धोबी परिवार में हुआ था। बाद में खासपुर का नाम बदल कर शेण गांव हो गया। संत गाडगे ह्रष्ट-पुष्ट एवं देखने में अति सुन्दर थे जिसके कारण लोग इन्हें देव कहकर पुकारते थे। बाद में चलकर इनका नाम डेबू जी हो गया। इनके बचपन का पूरा नाम डेबू जी झिंगरा जी जाणोरकर था।

झिंगरा जी इनके पिता का नाम तथा जाणोरकर इनका ‘कुल’ था। महाराष्ट्र में नाम के साथ पिता एवं कुल का नाम जोड़े जाने की परम्परा रही है। इनकी माता का नाम सखू बाई था। महापुरुषों के बारे में प्रायः देखा गया है कि उनका पारम्भिक जीवन अत्यन्त संघर्षमय रहा है। ऐसा ही डेबू के साथ भी घटित हुआ है। आठ वर्ष की अल्पायु में ही इनके पिता का देहान्त हो गया जिससे गाडगे बचपन में ही अनाथ हो गये। संत गाडगे के पिता झिंगरा जी को शराब पीने की गलत आदत पड़ चुकी थी, जिसके कारण उनकी असामयिक मृत्यु हो गयी थी । उस समय धोबी समाज में मांस एवं मदिरा का अत्यधिक प्रचलन था। जन्मदिन अथवा अन्य सामाजिक समारोह के अवसर पर समाज के लोगों को मांस एवं मदिरा की दावत दी जाती थी। गाडगे के जन्म के अवसर पर भी समाज के लोगों को मांस एवं मदिरा की दावत दी गयी थी। मृत्यु के समय झिंगरा जी ने अपनी पत्नी सखू बाई को बुलाकर समझाया था कि मुझे मांस खाने एवं शराब पीने की गलत आदत पड़ गई थी जिसके कारण मैं आज असामयिक निधन को प्राप्त हो रहा हूं। मेरे डेबू को इन सबसे दूर रखना। पिता के देहावसान के बाद उनके नाना हमीर राव ने अपने लड़के चन्द्रभान को डेबू एवं उसकी मां सखू बाई को बुलाने के लिए भेजा। हमीर राव दापूरे गांव के एक समृद्ध किसान थे। उस समय उनके पास 65 एकड़ भूमि थी और बहुत सारे जानवर थे। सखू बाई एक स्वाभिमानी महिला थीं, मायके वालों पर बोझ बनकर रहने के बजाय मेहनत करके जीवन-यापन करना उन्होंने उचित समझा। अतः वह घर एवं खेती के कार्यों में पूरा सहयोग करने लगी। साथ ही उन्होनें डेबू को भी समझाया कि वह भी अपने नाना एवं मामा के साथ घर एवं खेती के कार्यो में हांथ बंटाए। इस प्रकार डेबू जी को बचपन में जो शिक्षा पाठशाला में मिलनी चाहिए थी वह जीवन की व्यवहारिक पाठशाला में प्रारम्भ हो गयी। डेबू जी अपने नाना के साथ घर एवं खेती के कार्यो में सहयोग करने लगे। डेबू जी को बचपन से ही गाने का शौक था। अतः उन्होंने अपने साथ के चरवाहे साथियों से मिलकर एक कीर्तन मण्डली बनाया। इन लोगाें के पास कोई वाद्य यंत्र नहीं था बल्कि टीन व मिट्टी के पात्र के टुकड़े आदि को वाद्य यंत्र के रूप में प्रयोग करते थे। गांव में ही एक पेड़ के नीचे हनुमान मन्दिर के पास यह कीर्तन मण्डली कीर्तन करती रहती थी। डेबू के मन में तिरष्कृत एवं उपेक्षित मानवता के प्रति प्रारम्भ से ही दया की भावना थी। एक दिन वह जानवरों को लेकर मंदिर के पास से गुजर रहे थे तभी उन्होंने मन्दिर के द्वार पर कुछ अन्धे, अपाहिज, भूखे लोगों को देखा, जो भिक्षा मांग रहे थे। डेबू को उन पर दया आयी और दोपहर को खाने के लिये मां ने जो रोटियां दी थी उसे उन लोगों में बांट दिया। उनका मानना था कि भूखे को भोजन दो। तभी डेबू के मन में अपने चरवाहा साथियों के साथ मिल कर भण्डारा करने का विचार आया। डेबू के सभी साथियों द्वारा उनके इस कार्य में सहयोग किया गया। सभी लोग थोड़ा-थोड़ा भोजन सामग्री अपने-अपने घर से लेकर आये। पास के दो-चार गांव के सभी अंधे, लूले-लंगड़े एवं अपाहिजों को बुलाया गया और उन्हें भर पेट भोजन कराया गया। डेबू जी के इस सामाजिक एवं परोपकारी कार्य की गांव के लोगों द्वारा प्रशंसा की गयी। संत कबीर ने ठीक ही कहा है:-

तीरथ जाओ, काशी जाव, चाहे जाव गया कबीर कहे कमाल की, सबसे बड़ी दया ।।

संत गाडगे शारीरिक रूप से हृष्ट-पुष्ट एवं बलिष्ठ थे, उन्होंने शारीरिक शक्ति से सम्बन्धित योग्यता को भी हासिल करने का प्रयास किया, जो कि उनके तैरने की कला में निपुणता हासिल करने से प्रकट होती है। उन्होंने तैरना सीखने के लिए दापूरे गांव के निकट बहने वाली पूर्णा नदी का वह गहरा स्थान चुना जहां गांव के लोग तैरने का आनन्द लेते थे। डेबू जी का मानना था कि गहरे पानी में छलांग लगाने से स्वतः तैरना जाता है, उन्होंने एक दिन बिना सोचे-समझे गहरे पानी में छलांग लगा दी, परिणाम स्वरूप वह डूबने लगे और पास खड़े लोगों ने उन्हें बचाया। उन्हे ऐसी गलती दुबारा करने की हिदायत दी गयी, बावजूद इसके वह तैरने का प्रयास बराबर करते रहे और अन्ततः तैरने में निपुणता हासिल की।डेबू अब युवावस्था की दहलीज पर कदम बढ़ा रहे थे, उन्होंने अपने मामा के कृषि कार्य में हांथ बंटाना शुरू कर दिया। अनपढ़ होते हुए डेबू में सूझ-बूझ की कमी थी जिसके चलते उन्होंने कृषि की पैदावार पहले की अपेक्षा काफी बढ़ा दिया था। इसी दौरान नाना हमीर राव एवं मामा चन्द्रभान ने सोचा कि डेबू का विवाह कर दिया जाय जिसके लिए डेबू की मां सखू बाई से भी सहमति प्राप्त कर ली गयी। कमलापुर निवासी धनाजी की पुत्री कुन्ता बाई से उनकी शादी पक्की कर दी गयी और 1892 में डेबू की शादी बड़े धूम-धाम से सम्पन्न हो गयी। उस जमाने में बाल विवाह की प्रथा थी। शादी के समय डेबू की उम्र पन्द्रह-सोलह साल की थी और कुन्ता की उम्र सात-आठ साल की थी। तत्कालीन धोबी समाज में जन्म, विवाह एवं मृत्यु के समय विरादरी के लोगों को मांस एवं मदिरा की दावत दिये जाने की बाध्यता थी। इसका इतना अधिक प्रचलन था कि जो लोग इसके लिए सक्षम नहीं होते थे वे खेत-मकान आदि गिरवी रख कर प्रबन्ध करते थे। ऐसा ही एक अवसर था जब डेबू के यहां 1899 में एक बच्ची का जन्म हुआ। जिसका नाम अलोका बाई रखा गया। उसके जन्म के अवसर पर विरादरी के लोगों को दावत दी गयी। दावत में लड्डू एवं पकवान की व्यवस्था की गयी। यह देख कर विरादरी के लोग भड़क गए क्यों कि परम्परानुसार मांस-मदिरा की व्यवस्था नहीं की गयी थी। विरादरी के लोगो ने कहा... डेबू तुमने जाति का रस्म-रिवाज तोड़ा है। हम लोग दिन-रात ठण्डे पानी में काम करते हैं इसलिए शराब पीते हैं, मटन खाते हैं। तुम्हारे घर बेटी पैदा हुयी है उसके नामकरण के दिन हमें शराब और मटन मिलना ही चाहिए नहीं तो हम लोग चले जाएगें। डेबू ने बड़े ही नम्रता से सबसे कहा ! भाइयों, शराब के कारण मेरे पिता अकाल मृत्यु को प्राप्त हो गये। घर-बार खेती-बाड़ी सब कुछ बर्बाद हो गयी। ऐसी बर्बादी करने वाली शराब को मैं घर नहीं लाऊॅंगा। तब लोगों द्वारा कहा गया कि मटन क्यों नहीं? कम से कम मटन तो होना चाहिए? एक रिश्तेदार बोला! डेबू ने पुनः नम्रता से कहा कि भाइयों मेरे घर में बच्ची का जन्म हुआ है। और एक बकरी के बच्चे की जान लेना बहुत बड़ा पाप होगा। मैं तो शराब पिलाऊंगा मटन खिलाऊंगा, आप लोग बूंदी के लड्डू एवं पकवान का भोजन करें। इस प्रकार डेबू ने सदियों से चली रही रूढ़िवादी परम्परा पर कुठाराघात करके स्वस्थ्य परम्परा का शुभारंभ किया।डेबू के मामा चन्द्रभान दापूरे गांव के सीधे-सादे, निश्छल एवं सरल हृदय अनपढ़ किसान थे। उनका प्रेम निकटवर्ती गांव सांगवी दुर्गड़े के चालाक एवं धूर्त साहूकार बना जी प्रीतम जी तिड़के से था, जो उनकी 65 एकड़ उपजाऊ भूमि को एन-केन प्रकारेण हड़पना चाहता था। अतः उसने अपने षडयंत्र को साकार करने के लिए चन्द्रभान को अपने कर्ज के जाल में फंसाना शुरू कर दिया। वह साहूकार से स्वयं तो कर्ज लेते ही थे अन्य लोगों की जमानत भी ले लिया करते थे। इसी क्रम में उसने चन्द्रभान को पूर्णा नदी के किनारे की पांच एकड़ ऊबड़-खाबड़ भूमि को बिना रजिस्ट्री के बेंच दिया। एक दिन साहूकार ने चन्द्रभान को बुलाकर दिये गये कर्ज से सम्बन्धित हिसाब समझाया और उसकी अदायगी के लिए कहा तथा आगे कर्ज देने से मना कर दिया। इस पर चन्द्रभान द्वारा असमर्थता व्यक्त किए जाने पर उसने लगभग 1700 रू0 की रकम पर उनकी 65 एकड़ भूमि तीन साल के लिए गिरवी रख ली। इससे गृहस्थी संचालन में घोर आर्थिक संकट उत्पन्न हो गया क्योंकि पैदावार का सारा अनाज तो खलिहान से ही साहूकार के घर जाने लगा तभी डेबू सहित परिवार के समस्त लोग इस पहाड़ रूपी विपदा से अवगत हुए। वह पत्नि के आभूषण एवं गहने बेचकर घर-गृहस्थी का खर्च चलाने लगे, लेकिन गहने भी शीघ्र ही समाप्त हो गए। फलस्वरूप वह जानवरों को बेच कर गृहस्थी का खर्च चलाने लगे, जिससे जानवर भी एक-एक कर घर से दूर होने लगे। डेबू को समस्त जानवरों में से एक बूढ़े बैल से अत्यन्त लगाव था जो उनका मूक प्राणियों पर दया का प्रतीक था। उस बूढ़े बैल को कसाई के हाथों बेचे जाने के प्रस्ताव पर डेबू जी का दयावान मन नहीं माना तथा अपने मामा के आगे उन्हें विरोध युक्त विनय करने के लिए बाध्य कर दिया। उन्होंने कहा मामा आप सभी जानवर बेंच सकते हो परन्तु इस बूढ़े बैल को बेचो। इस बैल ने हजारों मन अनाज पैदा किया है, अब उसे कसाई के हाथों बेचना ठीक नहीं है। हम सब दिन में एक बार खाना खाएगें, फटे-पुराने कपड़े पहनेगें, दिन-रात काम करेगें और साहूकार का कर्ज उतार देगें। सही देखा जाय तो साहूकार ने झूठा हिसाब बताकर हमें फंसाया है। उसके खिलाफ कोर्ट में केस कर दो। सीधे-सादे चन्द्रभान को डेबू की इन बातों पर विश्वास नहीं था उन्हें साहूकार के कर्ज की चिंता सताए जा रही थी। वह हमेशा इसी चिंता में खोये रहते थे और इसी चिंता के कारण वह बीमार पड़ गए और एक दिन इस नश्वर शरीर को छोड़कर चल बसे। उनकी मृत्यु के समय उनका लड़का बलिराम बहुत छोटा था, परिणाम स्वरूप परिवार का सम्पूर्ण उत्तरदायित्व डेबू  पर गया। डेबू निरक्षर होते हुए भी अनुभव एवं ज्ञान के गुणी थे। सहूकार के कर्ज के सम्बन्ध में उनकी स्पष्ट राय थी कि साहूकार का कर्ज तो बहुत पहले ही चुकता हो गया है। अब वह हमारी निरक्षरता का अनुचित लाभ उठाकर हमारा शोषण कर रहा है। अतः उन्होंने इस अन्याय, अत्याचार एवं शोषण के विरूद्ध संघर्ष करने का दृढ़ निश्चय किया तय किया कि अब वह साहूकार के अनाचार को खत्म करके ही दम लेगें। अतः उन्होंने बना जी साहूकार से मिलकर कर्ज और अदा की गयी रकम का हिसाब-किताब करने को कहा परन्तु ऐसा करने से उसने साफ मना कर दिया। डेबू  इस मामले को गांव के प्रतिष्ठित लोगों के मध्य ले गए ताकि इस मामले को आम राय से सुलझा सकें परन्तु साहूकार ने किसी की बात नहीं माना, तब उन्होंने साहूकार से स्पष्ट कह दिया कि हमारा-तुम्हारा लेन देन समाप्त हुआ, तुमने हम लोगों से दिए हुए कर्ज से बहुत अधिक कर्ज वसूल कर लिया है। इस पर साहूकार ने चन्द्रभान जी को बिना रजिस्ट्री के बेची गयी पांच एकड़ जमीन पर जबरदस्ती गुण्डो एवं लठैतों की मदद से कब्जा कर लेने की धमकी दी। साहूकार की यह धमकी पूरे गांव में जंगल के आग की तरह फैल गयी। घर वालों के मना करने पर भी डेबू  दूसरे दिन हल-बैल लेकर खेत पर गए तथा साहूकार भी अपने कई गुण्डों तथा लठैतों के साथ खेत पर धमका। गांव के अनेक लोग भी वहां पर इकट्ठा हो गए। साहूकार ने गुण्डों के सरगना हनुमन्त्या नामक गुण्डे से कहा कि तुम डेबू को उठाकर खेत से बाहर फेंक दो। डेबू जी ने कुपित दृष्टि से उसकी ओर देख कर कहा कि अगर तू एक कदम भी आगे बढ़ा तो मैं तुम्हें जान से मार डालूंगा। अतः उसने डेबू की क्रोध भरी मुद्रा को देखकर आगे बढ़ना उचित नहीं समझा। सहूकार ने पुनः अपने अन्य गुण्डे भेजा, उन पर डेबू जी अपनी लाठी लेकर टूट पड़े और गुण्डो को साहूकार सहित जान बचाकर भागना पड़ा। डेबू की हिम्मत एवं दृढ़ निश्चय से साहूकार इतना सहम गया कि उसने डेबू से किसी भी कीमत पर मामला सुलझा लेना उचित समझा। अन्ततोगत्वा साहूकार ने डेबू को हिसाब- किताब चुकता की रसीद देकर समझौता कर लिया। इस घटना से गांव के आस-पास के लोग डेबू  से अत्यधिक प्रभावित हुये तथा वे लोग अनाचार एवं अत्याचार के विरूद्ध डेबू  के कठोर संघर्ष की मुक्त कण्ठ से प्रसंशा करने लगे। अब लोग उन्हें सम्मान से डेबू जी कहने लगे।इस प्रकार उन्होंने शोषण, अन्याय और अत्याचार के विरूद्ध संघर्ष की एक ऐसी आधार शिला रखी जिसने कालान्तर में लोगों के लिए प्रेरणा स्रोत का कार्य किया।

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