ग्लोबल वॉर्मिंग पिघल रहे ग्लेशियर
अक्षय तृतीया पर आज दोपहर
12:35 बजे खोल दिए जाएंगे गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट.
देशभर में ईद का जश्न, जामा मस्जिद
पर उमड़े नमाजी, बधाइयों का सिलसिला जारी.
अमेरिका ने चीन से ताइवान के
खिलाफ सैन्य, कूटनीतिक, आर्थिक दबाव बंद करने का किया आग्रह
आज श्रीहरिकोटा से लॉन्च होगा
ISRO का पीएसएलवी-C55 / TeLEOS-02 अंतरिक्ष मिशन
पश्चिम बंगाल: दलित लड़की से
गैंगरेप और हत्या के मामले में बीजेपी ने ममता सरकार पर साधा निशाना
असम राइफल्स के जवानों ने मिजोरम
में जब्त की 2.5 करोड़ रुपए की हेरोइन
आज से खुलेंगे यमुनोत्री और गंगोत्री
धाम के कपाट.
UP: अयोध्या में भीषण सड़क हादसा,
बस से टकराया ट्रक, 7 की मौत.
कर्नाटक: BJP छोड़ने के बाद बोले
जगदीश शेट्टार- सत्ता की भूख नहीं, स्वाभिमान को ठेस पहुंची थी.
बिहार में सुधा दूध की कीमतों
में इजाफा, 24 अप्रैल से बढ़ेंगे दाम.
चेन्नई को जीत
तो मिली,
फिर भी
नहीं टूटी
राजस्थान और
लखनऊ की
दीवार
पुंछ हमले के
बाद सर्च
ऑपरेशन, गोधराकांड
के 8 दोषियों
को जमानत,
सत्यपाल मलिक
को CBI का
समन
मुंबई में एक
और सेक्स
रैकेट का
पर्दाफाश, 3 एक्ट्रेस गिरफ्तार, भोजपुरी की
एक फेमस
हीरोइन शामिल
हिजाब के ऊपर
मैंने शिक्षा
को चुना;
कर्नाटक बोर्ड
की टॉपर
तबस्सुम की
कहानी.
मिजोरम में करोड़ों
की हेरोइन
जब्तमिजोरम में असम राइफल्स के
जवानों ने
2.5 करोड़ रुपए की हेरोइन जब्त
की है।
ममता सरकार पर
बीजेपी का
निशानापश्चिम बंगाल में दलित लड़की
से गैंगरेप
और हत्या
के मामले
में बीजेपी
ने ममता
सरकार पर
निशाना साधते
हुए कहा
कि कहां
आम लोगों
की सुरक्षा
हो रही
है।
यूएस में न्यू
ओमिक्रॉन सबवैरिएंटन्यू
ऑमिक्रॉन सबवेरिएंट
XBB.1.16 अमेरिका में तेजी
से फैल
रहा है।
यमुनोत्री और गंगोत्री
धाम खुलेंगेशनिवार
से यमुनोत्री
और गंगोत्री
धाम के
कपाट श्रद्धालुओं
के लिए
खोले जाएंगे.
सुकन्या योजना से बेटी के लिए ऐसे बनाएं 63 लाख का फंड, टैक्स छूट का भी मिलेगा फायदा
भयंकर तपिश वाले मौसम से अकाल-बाढ़ से बर्बादी के मामले बढ़े हैं, ग्लोबल वॉर्मिंग से ग्लेशियर डरा देने वाली तेजी से पिघल रहे हैं। ग्रीन हाउस इफेक्ट ने महासागरों में उबाल ला दिया। यह डरा देने वाली तस्वीर पेश की है विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) की सालाना रिपोर्ट ने। इसके अनुसार, पहाड़ की चोटियों से लेकर समुद्र की गहराई तक क्लाइमेट चेंज 2022 में भी बेकाबू रहा। भारत में इतनी गर्मी पड़ी की अनाज कम उपजा। आग, बाढ़, बिजली गिरने की घटनाएं बढ़ी हैं।दुनिया भर के नेताओं ने पेरिस में बढ़ते तापमान पर चिंता जताई है. हकीकत ये भी है कि दुनिया भर में तापमान लगातार बढ़ रहा है. दुनिया भर का तापमान ओद्यौगिक क्रांति के समय से एक डिग्री सेल्सियस ज़्यादा हो गया है. दुनिया भर के नेताओं ने 2009 में दो डिग्री सेल्सियस की बढ़ोत्तरी पर सहमति जताई थी. जलवायु परिवर्तन पृथ्वी के लिए नया मसला नही है. पृथ्वी के 4.6 अरब सालों के इतिहास में इसका तापमान अनगिनत बार बदला है.लेकिन इन बदलावों के बाद भी पृथ्वी समान तापमान रेंज में आ जाती रही है. क्योंकि तापमान नियंत्रण का इसका अपना तरीका है. इसका सबसे अहम कारण है ग्रीन हाउस इफैक्ट. ग्रीन हाउस गैस यानी कार्बन डायक्साइड, मीथेन और जलवाष्प मिलकर पृथ्वी के बाहर एक ऊनी कंबल जैसा बनाते हैं.ग्रीन हाउस इफैक्ट के बिना पृथ्वी का औसत तापमान -18 डिग्री सेल्सियस होता और पृथ्वी बर्फ से ढकी होती. यहां जीवन भी नहीं होता.पृथ्वी पर मनुष्यों का अस्तित्व बहुत पुराना नहीं है लेकिन हमने पृथ्वी के जलवायु को सबसे ज्यादा प्रभावित किया है. जीवाश्म ईंधन को जलाने और पेड़ पौधों को काटने से हम वायुमंडल में ज़्यादा से ज़्यादा कार्बन डायक्साइड का स्तर बढ़ा रहे हैं, इससे तापमान बढ़ रहा है. 2000 से 2010 के बीच कार्बन उत्सर्जन की हमारी दर पिछले दशक की तुलना में चार गुना बढ़ चुकी है. ऐसे में निकट भविष्य में पृथ्वी का क्या होगा?इसे समझने के लिए वैज्ञानिकों ने कंप्यूटर मॉडल के आधार पर पृथ्वी के जलवायु के बारे में अंदाजा लगाना शुरू किया है. इसका आकलन जटिल जरूर है लेकिन यह सामान्य भौतिक विज्ञान पर आधारित है जो वायु और जल की प्रकृति पर निर्भर कर रही है.मानव निर्मित बदलावों और प्राकृतिक बदलावों के आधार पर इन मॉडलों ने जलवायु परिवर्तन के अंदाज़े का पता लगाना शुरू किया है.इन आकलनों को इंटरगर्वनमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज़ (आईपीसीसी) ने रिपोर्ट के तौर पर 2013-14 में प्रकाशित किया. इसके मुताबिक अगर अगले 50 सालों तक मौजूदा दर से कार्बन उत्सर्जन बढ़ता रहा तो दुनिया का तापमान कम से कम 4 डिग्री सेल्सियस तो बढ़ेगा ही.इसके मुताबिक 2200 तक ओद्यौगिक दौर शुरू होने से पहले की तुलना में दुनिया का तापमान 7 डिग्री सेल्सियस बढ़ जाएगा. इसके बाद तापमान स्थिर हो जाएगा, यदि तब तक मनुष्य ने कार्बन गैसों का उत्सर्जन बंद कर दिया.लेकिन इस पर यकीन नहीं किया जा सकता क्योंकि पृथ्वी का जलवायु बेहद जटिल मसला है. पर्यावरण की चिंता करने वालों के लिहाज से तापमान और भी बढ़ने की संभावना है.इस तर्क के आधार पर बर्फ़ पिघलेगी और सूर्य की गर्मी से जल वाष्प बनेगा और ग्रीन हाउस इफैक्ट के चलते तापमान और बढ़ेगा.वैसे पृथ्वी का क्या होगा, इसको लेकर अतीत के अनुभव को देखा जा सकता है.करीब 5.5 करोड़ साल पहले पृथ्वी का तापमान तेजी से बढ़ा था. तब ध्रुवीय इलाकों में समुद्र तल का तापमान 10 डिग्री सेल्सियस था, जो आज -2 डिग्री सेल्सियस ही है. तब ध्रुवीय इलाके में कोई बर्फ़ नहीं थी. कुछ प्रजातियां गर्मी की वजह से बेहतर तरीके से बढ़ीं लेकिन कुछ अन्य ख़त्म हो गईं.लेकिन मीथेन गैस के बड़े पैमाने पर वायुमंडल से बाहर जाने के बाद ग्रीन हाउस इफैक्ट का प्रभाव शुरू हुआ. हालांकि मीथेन गैस बाहर कैसे गई यह स्पष्ट नहीं है.धूमकेतू के टकराने या ज्वालामुखीय विस्फोट से ऐसा हो सकता है. ये भी साफ है कि पृथ्वी का तापमान बढ़ने से समुद्रतल के नीचे की मीथेन गैस अस्थिर हो जाती है.उस दौर की तुलना आज से हो सकती है. अगर अब मौजूद सभी जीवाश्म ईंधनों को जला दिया जाए, तो उतनी ही गर्मी पैदा हो सकती है जो उस दौर में थी. इन गैसों की बदलौत कम से कम 5 और अधिक से अधिक 8 डिग्री सेल्सियस तापमान बढ़ सकता है.लेकिन क्या पृथ्वी इससे भी ज़्यादा गर्म हो सकती है. हमें ये भी मालूम है कि पृथ्वी के गर्म होने से ज़्यादा ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जित होती है. सैद्धांतिक तौर पर ऐसा होने पर पृथ्वी का तापमान सैकड़ों डिग्री बढ़ सकता है.लेकिन यह पृथ्वी के साथ कभी नहीं हुआ, अगर ऐसा होता तो यहां जीवन ही नहीं होता. लेकिन वैज्ञानिकों का अनुमान है कि ऐसा पृथ्वी की बगल वाले ग्रह शुक्र पर तीन से चार अरब साल पहले हो चुका है. शुक्र सूर्य से पृथ्वी की तुलना में ज़्यादा नज़दीक है. तो वह पहले से गर्म रहा होगा. उसकी सतह पर तापमान इतना ज़्यादा हो गया कि ग्रह का पूरा जल वाष्प बनकर उड़ गया. इसके बाद कार्बन डायक्साइड को स्टोर करने का तरीका नहीं रहा.इससे ग्रीन हाउस की स्थिति ख़राब हो गई. शुक्र ग्रह के वायुमंडल में 96 फ़ीसदी कार्बन डायक्साइड ही रह गई है. ग्रह का अब तापमान 462 डिग्री सेल्सियस हो चुका है. इस गर्मी से शीशा भी पिघल सकता है. शुक्र सोलर सिस्टम का सबसे गर्म ग्रह बन चुका है. बुध से भी गर्म.माना जा रहा है कि पृथ्वी की स्थिति भी अगले कुछ अरब सालों में ऐसी ही होने वाली है.सूर्य की उम्र भी बढ़ रही है और उसका ईंधन ख़त्म हो रहा है. पृथ्वी की सतह पर भी कार्बन डायक्साइड की मात्रा काफी बढ़ने वाली है. क्योंकि पानी ही नहीं बचेगा.लेकिन यह अरबों सालों में होगा. सवाल यह है कि क्या मनुष्य उससे पहले ही ग्रीन हाउस इफैक्ट को बेतहाशा तेज़ी से बढ़ाकर ऐसा कर सकता है?यह अध्ययन 2013 में प्रकाशित हुआ था और इसके मुताबिक यह संभव भी है. अभी हम वायुमंडल में 400 पार्ट्स पर मिलियन की दर से कार्बन गैसों का उत्सर्जन कर रहे हैं. बेकाबू ग्रीन हाउस इफैक्ट को अंजाम देने के लिए मनुष्य को कार्बन गैसों का स्तर 30 हजार पार्ट्स पर मिलियन करना होगा.यह मात्रा कितनी है, इसका अंदाजा लगाना हो तो, तो हम सारे जीवाश्म ईंधन को जला दें तो उससे उत्पन्न होने वाली कार्बन डायक्साइड की मात्रा से ये दस गुना है.लेकिन यहां यह भी समझना होगा कि तापमान थोड़ा भी बढ़ने पर पृथ्वी पर इसका असर दिखने लगेगा. कैलिफोर्निया की डेथ वैली में तापमान 50 डिग्री सेल्सियस के पार पहुंच चुका है. यह ख़तरनाक स्तर है लेकिन देखभाल से इसमें जीवन संभव है.इंसान के शरीर का तापमान 37 डिग्री सेल्सियस होता है.ग्लोबल तापमान 7 डिग्री सेल्सियस बढ़ने से दुनिया के कुछ हिस्सों में रहना वाकेई मुश्किल हो जाएगा और तापमान 12 डिग्री सेल्सियस बढ़ने से पृथ्वी का आधा हिस्सा रहने लायक नहीं रहेगा.हालांकि कुछ लोग बड़े एयरकंडीशनर उपकरण लगाकर जीवन के उपयुक्त हालात बनाने की बात कर सकते हैं लेकिन एक तो यह बहुत महंगा होगा और दूसरे इसके लिए लोगों को हफ़्तों महीनों तक इन इमारतों के अंदर ही रहना होगा.वैसे ऐसी सूरत ना भी हो तो भी मौजूदा हालात के मुताबिक पृथ्वी का तापमान इस शताब्दी के अंत तक 4 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ सकता है. इससे मानव समुदाय सीधे प्रभावित नहीं भी हो तब भी जीवन कष्टदायक हो जाएगा.20 हज़ार साल पहले, पृथ्वी का तापमान अब से 4 डिग्री सेल्सियस कम था. उस वक्त कनाडा, उत्तरी यूरोप और ब्रिटिश द्वीप समूह सबके सब बर्फ़ से ढके हुए थे.तब से अब तक 4 डिग्री सेल्सियस तापमान बढ़ा है और यह यूरोप और उत्तरी अमरीका की बर्फ़ की चादर को हटाने के लिए काफ़ी साबित हुआ. बर्फ़ के पिघलने से समुद्र के जल का स्तर 10 मीटर बढ़ा है और कई समुद्रतटीय इलाके डूब गए हैं.इस पर विचार करते हुए अगर आप तापमान में चार डिग्री सेल्सियस की बढ़ोत्तरी की कल्पना करेंगे तो उन परिस्थितियों में आसपास की दुनिया का सहज अंदाज़ा हो जाएगा.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
ने शुक्रवार
को देश
के प्रशासनिक
अधिकारियों से कहा कि हर
फैसले से
पहले इस
सवाल के
बारे में
जरूर सोचें
कि क्या
सत्ता में
बैठीं राजनीतिक
पार्टियां सरकारी पैसे का इस्तेमाल
देश के
विकास में
कर रही
हैं या
अपने दल
के विस्तार
में या
फिर वोट
बैंक बनाने
की कोशिश
में उसे
लुटा रही
हैं। सिविल
सर्विसेज डे
के मौके
पर लोक
सेवकों से
PM ने कहा
कि अगर
उन्होंने ऐसा
नहीं किया
तो देश
का पैसा
लुट जाएगा,
और युवाओं
के सपने
चकनाचूर हो
जाएंगे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
ने सूडान
में फंसे
करीब 3 हजार
भारतीयों की
सुरक्षा को
लेकर एक
हाई लेवल
बैठक ली।
PM ने भारतीयों
को निकालने
के लिए
आकस्मिक प्लान
तैयार करने
का भी
निर्देश दिया।
प्रधानमंत्री कार्यालय ने बताया कि
PM ने सूडान
की स्थिति
की बारे
में जाना।
अधिकारियों से कहा कि वह
भारतीयों से
संपर्क में
रहें और
हरसंभव मदद
दें। उन
देशों से
संपर्क बनाए
रखने को
कहा जो
जहां भारतीयों
के संख्या
ज्यादा है।
बैठक में
विदेश मंत्री
जयशंकर, NSA अजित डोभाल, सूडान में
भारत के
राजदूत मौजूद
रहे।
दिल्ली के साकेत
कोर्ट में
शुक्रवार को
दिनदहाड़े भीड़ के सामने एक
शख्स ने
महिला को
गोली मार
दी। वकील
की ड्रेस
में आए
आरोपी मनोज
सिंह ने
कई राउंड
फायरिंग की।
गनीमत रही
कि महिला
को छर्रे
ही लगे,
गोली नहीं
और उनकी
जान बच
गई। वारदात
को अंजाम
देने के
बाद आरोपी
वहां से
भाग गया।
पुलिस ने
उसे फरीदाबाद
से अरेस्ट
कर लिया।
घायल हुई
महिला का
नाम एम.
राधा है।
पुलिस ने
बताया कि
मामला 25 लाख
रुपये के
लेन-देन
का है।
सुप्रीम कोर्ट ने
2002 के गोधरा
ट्रेन जलाने
के मामले
में उम्रकैद
की सजा
पाए आठ
लोगों को
शुक्रवार को
जमानत दे
दी। चार
दोषियों को
जमानत देने
से इनकार
कर दिया।
कोर्ट ने
राहत देते
हुए इस
बात पर
ध्यान दिया
कि वे
कितना समय
जेल में
बिता चुके
हैं और
उनकी अपीलों
का जल्द
निपटान किए
जाने की
संभावना नहीं
है।
तमिलनाडु में प्रवासी
मजदूरों पर
हमले का
फर्जी विडियो
प्रसारित करने
के आरोपी
यूट्यूबर मनीष
कश्यप पर
NSA लगाए जाने
पर सुप्रीम
कोर्ट ने
हैरानी जताई।
चीफ जस्टिस
ने कहा,
‘इस तरह
से आरोपी
के खिलाफ
बदला क्यों?’
कोर्ट ने
तमिलनाडु सरकार
को मनीष
को मदुरै
जेल से
कहीं और
शिफ्ट न
करने का
निर्देश दिया।
CBI ने जम्मू-कश्मीर
के पूर्व
राज्यपाल सत्यपाल
मलिक को
वहां हुए
कथित बीमा
घोटाले के
सिलसिले में
कुछ सवालों
का जवाब
देने के
लिए बुलाया
है। मलिक
ने कहा
कि CBI कुछ
स्पष्टीकरण चाहती है, जिसके लिए
मुझे बुलाया
है। मैंने
उन्हें 27 से 29 अप्रैल की तारीख
दी है।
किसान का
बेटा हूं,
घबराऊंगा नहीं।
जम्मू-कश्मीर के
पुंछ में
गुरुवार को
हुए एक
आतंकवादी हमले
के बाद
घने जंगलों
में तलाशी
अभियान चलाया
गया। आतंकियों
की खोज
में ड्रोन,
खोजी कुत्तों
और हेलिकॉप्टरों
लगे हैं।
शहीद हुए
जवानों में
हवलदार मंदीप
सिंह, लांसनायक
देबाशीश बस्वाल,
लांसनायक कुलवंत
सिंह, सिपाही
हरकृष्ण सिंह
और सिपाही
सेवक सिंह
हैं।
MCD में 26 अप्रैल को
मेयर चुनाव
के लिए
CM अरविंद केजरीवाल ने AAP के नेता
सदन मुकेश
गोयल को
पीठासीन अधिकारी
नियुक्त करने
की अनुशंसा
की। अब
गेंद LG के
पाले में
है कि
क्या वे
प्रस्ताव को
मंजूरी देंगे
या नया
नाम सुझाएंगे।
पहले भी
गोयल का
नाम भेजा
गया था
तब LG ने
इसे खारिज
कर दिया
था।
रॉबर्ड वाड्रा से
जुड़े लैंड
डील केस
में हरियाणा
सरकार ने
शुक्रवार को
कहा कि
अभी किसी
को क्लीनचिट
नहीं दी
है। पुलिस
के प्रवक्ता
ने कहा
कि जांच
जारी है।
दस्तावेज जुटााए
जा रहे
हैं। डील
से जुड़े
कई व्यक्तियों
की जांच
हो रही
है। एक
दिन पहले
ही तहसीलदार
ने रिपोर्ट
में कहा
था कि
किसी नियम
का उल्लंघन
नहीं हुआ
है।
उत्तराखंड में चारधाम
यात्रा के
लिए शुक्रवार
को CM पुष्कर
सिंह धामी
ने श्रद्धालुओं
से भरी
बसों को
हरी झंडी
दिखाकर रवाना
किया। अब
चारधाम में
रोजाना जितने
चाहें श्रद्धालु
दर्शन कर
सकेंगे। उत्तराखंड
में चारधाम
यात्रा के
लिए शुक्रवार
को CM पुष्कर
सिंह धामी
ने श्रद्धालुओं
से भरी
बसों को
हरी झंडी
दिखाकर रवाना
किया। अब
चारधाम में
रोजाना जितने
चाहें श्रद्धालु
दर्शन कर
सकेंगे।
भारत के सुप्रीम
कोर्ट में
समलैंगिक विवाह
को क़ानूनी
मान्यता देने
वाली याचिका
पर अभी
सुनवाई चल
रही है.इस सुनवाई
के पहले
दिन सुप्रीम
कोर्ट ने
कहा था
कि पर्सनल
लॉ पर
विचार किए
बिना वो
ये देखेगा
कि क्या
विशेष विवाह
क़ानून के
ज़रिए समलैंगिकों
को अधिकार
दिए जा
सकते हैं
या नहीं.समुदाय को
मूलभूत अधिकारों
के तहत
शादी का
अधिकार दिया
जाना चाहिए,
जिसकी गारंटी
संविधान के
अनुच्छेद 14, 19 और 21 में दी गई
है.विशेष
विवाह अधिनियम,
1954 की बात
की जाए,
तो इसके
ज़रिए अंतर-धार्मिक और
अंतर-जातीय
विवाह को
पंजीकृत किया
जाता है
और मान्यता
दी जाती
है. समलैंगिकों
के अधिकारों
के लिए
काम करने
वाली संस्था
'सेफो फ़ार
इक्ववेलिटी' की सह-संस्थापक हैं.
उनका कहना
है कि
वे इसे
समलैंगिकों की शादी नहीं, बल्कि
'मैरिज इक्वलिटी
राइटस' बोलती
हैं. अगर
शादी करने
का अधिकार
है, तो
ये सबके
लिए होना
चाहिए. वे
विशेष विवाह
अधिनियम के
30 दिनों के
नोटिस वाले
प्रावधान पर
चिंता ज़ाहिर
करती है.कोलकाता से
बीबीसी के
साथ बातचीत
में वे
कहती हैं,
''ये मेरी
और मेरे
पार्टनर की
बात नहीं
हैं. मैं
पिछले दो
दशक से
एक्टिविस्ट रही हूँ और हमने
इतना कुछ
अनुभव किया
है. अब
चाहे किसी
का जेंडर
और सेक्शुअल
ओरिेएंटेशन (किसी के प्रति भावनात्मक,
रोमांटिक चाहत
होना) कुछ
भी हो,
हमें ये
अधिकार मिलना
चाहिए.''वे
सुप्रीम कोर्ट
में विशेष
विवाह अधिनियम
पर की
गई टिप्पणी
पर कहती
हैं, ''क्या
इस अधिनियम
के 30 दिन
के नोटिस
पीरियड को
हटाया जाएगा?
हमने हाल
ही में
LGBTQ+ समुदायों के अनुभवों को सुना
था. उन्हें
घर के
अंदर अपनी
पहचान को
लेकर कई
तरह की
हिंसा और
दुर्व्यवहार झेलना पड़ता है. ऐसे
में अगर.
समुदाय के
लोग शादी
करना चाहते
हैं और
30 दिन का
नोटिस लगा
दिया जाता
है और
अगर इस
दौरान परिवार
को पता
चल जाता
है, तो
उनका व्यवहार
क्या होगा
आप ख़ुद
सोचिए. हालाँकि
गुरुवार को
सुप्रीम कोर्ट
ने 30 दिन
के नोटिस
पीरियड को
'पितृसत्तात्मक' निजता का हनन और
ऐसे कपल
की सुरक्षा
को लेकर
ख़तरा बताया
हैं.दरअसल
विशेष विवाह
अधिनियम की
धारा 5 के
मुताबिक़, शादी करने वाले व्यक्ति
को सूचना
देनी होती
है और
विवाह अधिकारी
के कार्यालय
के बाहर
एक विशिष्ट
स्थान पर
शादी के
संबंध में
नोटिस लगाना
होता है.इस शादी
का नोटिस
लगने के
30 दिनों के
भीतर अगर
कोई आपत्ति
नहीं करता
है, तो
विवाह करवा
दिया जाता
है.विशेष
विवाह अधिनियम
जेंडर न्यूट्रल
नहीं है.
इसका सेक्शन
4 सी शादी
के लिए
लड़की की
उम्र 18 साल
और लड़के
की उम्र
21 साल की
बात करता
है. साथ
ही इसका
सेक्शन 24 और सेक्शन 25 बताता है
कि अगर
सेक्शन 4 के
तहत शादी
नहीं होती,
तो वो
अमान्य हो
जाती है.'हमसफ़र ट्रस्ट'
के संस्थापक
रह चुके
अशोक काक
कहते हैं,
''विशेष विवाह
अधिनियम में
केवल सहमति
देने वाले
दो भारतीय
नागरिकों की
बात होनी
चाहिए, जो
बालिग हैं
और वो
एक दूसरे
से शादी
कर सकते
हैं. वहीं
इसमें मनोचिकित्सकों
से ये
सर्टिफ़िकेट लिया जा सकता है
कि वे
शादी करने
के लिए
फ़िट हैं.
सुप्रीम कोर्ट
में सुनवाई
के दौरान
दलील दी
गई कि
क़ानूनी दृष्टि
में शादी
का अर्थ
एक बायोलॉजिकल
पुरुष और
बायोलॉजिकल महिला के बीच का
रिश्ता रहा
है.इस
पर सुप्रीम
कोर्ट ने
कहा था
कि महिला
और पुरुष
में भेद
करने की
कोई पुख़्ता
अवधारणा नहीं
है.वहीं
जानकार कहते
हैं कि
कोई भी
संबंध जो
क़ानूनी है,
वहाँ अधिकार
होते ही
हैं.महिला
अधिकारों के
लिए काम
करने वाली
वकील वीना
गोडा मुंबई
से फ़ोन
पर बताती
हैं, ''शादी
एक ऐसा
रिश्ता है,
जिसे क़ानूनी
मान्यता दी
गई है.
जो एक
रिश्ते को
क़ानूनी दायरे
में बांध
देता है
और फिर
एक दंपती
या स्पाउस
(लीगल पार्टनर)
के तौर
पर स्वीकार्य
हो जाते
हैं, जो
मिलकर एक
परिवार बनाते
हैं और
इसमें सबके
अधिकार होते
हैं. अगर
समलैंगिक विवाह
को मान्यता
मिलती है,
तो जिन-जिन कागज़ात
में स्पाउस
का उल्लेख
है, वहाँ
उन्हें पूर्ण
अधिकार मिलेंगे.
परिवार कई
तरह के
अधिकारों का
लाभार्थी बनाता
है, जैसे-
पेंशन, इंश्योरेंस,
ग्रैच्यूटी, मेडिकल क्लेम आदि.इंश्योरेंस,
ग्रैच्यूटी में नॉमिनी में स्पाउस
या लीगल
एयर ( ख़ून
के रिश्ते)
का विकल्प
दिया जाता
है.वहीं
समलैंगिकों की शादी को स्वीकृति
दे दी
जाती है,
तो उन्हें
पेंशन का
भी अधिकार
मिलेगा, क्योंकि
वहाँ नॉमिनी
का विकल्प
दिया गया
है.वित्तीय
मामलों में
समुदाय को
मदद तो
मिलेगी, लेकिन
कई ऐसे
मुद्दे हैं
जिन पर
ध्यान नहीं
दिया जा
रहा है.अगर कोई
व्यक्ति बीमार
पड़ जाता
है, तो
उस व्यक्ति
का परिवार,
पार्टनर को
अस्पताल आने
नहीं देता.
वहीं समलैंगिक
किराए पर
घर लेने
की कोशिश
करते हैं,
तो दिक़्क़त
आती है.भारत में
LGBTQ+समुदाय की संख्या करोड़ों में
है. वहीं
साल 2012 में
सरकारी आँकड़ों
में इस
समुदाय की
आबादी 25 लाख
बताई गई
है.साल
2020 में आई
प्यू रिसर्च
सेंटर की
रिपोर्ट की
मानें, तो
कई देशों
में समलैंगिकता
को लेकर
स्वीकार्यता बढ़ी है. भारत की
बात की
जाए, तो
साल 2014 में
ये स्वीकार्यता
15 प्रतिशत थी. वो बढ़कर अब
37 प्रतिशत हो गई है.समलैंगिकों
को शादी
की मान्यता
दी जाती
है, तो
कई क़ानूनों
में भी
संशोधन करने
होंगे. क्योंकि
भारत में
कई क़ानून
में दंपती
का ज़िक्र
आता है.
ऐसे में
कई चुनौतियाँ
आ सकती
हैं.समलैंगिकों
की शादी
को स्वीकृति
मिल जाती
है, तो
एक तरीक़ा
ये हो
सकता है
कि शादी
के रजिस्ट्रेशन
के समय
वे (समलैंगिक
जोड़ा) बता
सकते हैं
कि पारिवारिक
स्वरूप में
कौन क्या
(पति कौन,
पत्नी कौन)
ज़िम्मेदारी निभाएगा.यानी उन्हें कहा
जा सकता
है कि
वो अपने
रिश्ते में
ख़ुद के
बारे में
बताएँ. अगर
घरेलू हिंसा
का मामला
होता है
तो हर
महिला को
ऐसी हिंसा
के ख़िलाफ़
शिकायत करने
का अधिकार
है. ऐसे
में अगर
समलैंगिक विवाह
में दोनों
महिलाएँ हैं,
तो दोनों
में से
कौन घरेलू
हिंसा की
शिकायत दर्ज
करा सकेगा?
और अगर
दोनों पुरुषों
ने विवाह
किया है,
तो ऐसा
मामला आने
पर क्या
दोनों ही
शिकायत दर्ज
करा पाएँगे
या नहीं?
ऐसे में
ये सवाल
अहम हो
जाता है.भारत में
महिलाओं को
घर में
होने वाली
हिंसा से
बचाने के
लिए महिलाओं
की सुरक्षा
अधिनियम, 2005 लाया गया था.इसके
बाद, दूसरे
मुद्दों की
बात की
जाए, तो
अगर समलैंगिक,
शादी के
बाद किसी
कारणवश तलाक़
लेने का
फैसला करते
हैं, तो
भरण पोषण
के लिए
कौन ज़िम्मेदार
होगा? कोड
ऑफ़ क्रिमिनल
प्रोसिजर (CrPC) के सेक्शन 125 के अनुसार,
एक शादीशुदा
संबंध में
पत्नी को
पति से
भरण पोषण
के लिए
सहायता लेने
का अधिकार
दिया गया
है.वहीं
क़ानून ये
कहता है
कि किसी
परिवार में
बेटे से
माता-पिता,
शादी के
बाद पत्नी
या पिता
से बच्चे
भरण पोषण
की मांग
कर सकते
हैं, लेकिन
समलैंगिक विवाह
में दोनों
में से
किसे ये
सहायता लेने
का अधिकार
होगा और
कौन इसे
देगा या
दोनों ही
एक-दूसरे
से मांग
कर सकते
हैं? क़ानून
एकल महिला
या पुरुष
को बच्चा
गोद लेने
का अधिकार
देता है.
वहीं क़ानून
ये भी
कहता है
कि गोद
ली जाने
वाली बच्ची
और पुरुष
में 21 साल
का फ़र्क
होना चाहिए.
दोनों वकील
चुनौती के
बारे में
बताते हुए
कहती हैं,
''ऐसे में
ये देखना
होगा कि
अगर दोनों
समलैंगिक महिला
हैं और
बच्ची गोद
लेना चाहती
हैं या
समलैंगिक पुरुष
लड़का गोद
लेना चाहते
हैं, तो
क्या ये
अधिकार दिया
जाएगा? साथ
ही इस
परिवार में
पिता और
माँ की
भूमिका में
कौन होगा?क़ानून ये
कहता है
कि कोई
दंपती (पति-पत्नी) दो
साल तक
स्थायी शादी
में हैं,
तो उन्हें
बच्चा गोद
लेने का
अधिकार मिल
सकता है.वहीं नेशनल
कमिशन फ़ॉर
प्रोटेक्शन ऑफ़ चाइल्ड राइट्स (NCPCR) ने
सुप्रीम कोर्ट
से कहा
है कि
समलैंगिकों को बच्चा गोद लेने
का अधिकार
नहीं दिया
जाना चाहिए,
क्योंकि ये
बच्चों के
कल्याण के
ख़िलाफ़ होगा
और उनके
विकास पर
इसका प्रभाव
पड़ेगा.क़ानून
के अनुसार,
पाँच साल
से कम
उम्र के
बच्चे की
कस्टडी का
अधिकार माँ
को मिलता
है. ऐसे
में अगर
समलैंगिक शादी
में तलाक़
का मामला
सामने आता
है, तो
किसे बच्चे
की कस्टडी
लेने का
अधिकार मिलेगा.क़ानून में
बच्चे का
वेलफ़ेयर या
कल्याण सर्वोपरि
माना गया
है. ऐसे
में इस
शादी में
किसके अधिकार
को ज़्यादा
तरजीह दी
जाएगी.क़ानून
में परिवार
की परिभाषा
बताई गई
है. किसी
व्यक्ति का
पैतृक और
पिता द्वारा
अर्जित संपत्ति
में अधिकार
होता है.अगर अभिभावक
अपनी संपत्ति
में हिस्सा
देने से
इनकार करते
हैं, तो
व्यक्ति को
कोर्ट में
इस फ़ैसले
को चुनौती
देनी होगी.अगर वसीयत
दस्तावेज़ नहीं होता है, तो
उस सूरत
में भारतीय
विरासत क़ानून
या भारतीय
उत्तराधिकार अधिनियम की मदद ली
जाती है.भारतीय उत्तराधिकार
अधिनियम के
मुताबिक़, मृत्यु का प्रमाण पत्र
जारी होने
के बाद
संपत्ति का
क़ानूनी उत्तराधिकारियों
के बीच
बराबर-बराबर
हिस्से में
बँटवारा होता
है.
पिछले 24 घंटों के
दौरान, पश्चिमी
हिमालय के
कुछ हिस्सों
में हल्की
से मध्यम
बारिश और
गरज के
साथ बौछारें
पड़ी हैं।
पश्चिमी हिमालय
के ऊपरी
इलाकों में
बिखरी हुई
बर्फबारी हुई।दिल्ली,
सिक्किम, असम,
मेघालय, अरुणाचल
प्रदेश, नागालैंड,
छत्तीसगढ़, विदर्भ, पूर्वी मध्य प्रदेश
और उत्तर
आंतरिक कर्नाटक
में एक
या दो
स्थानों पर
हल्की से
मध्यम बारिश
हुई।दिल्ली के ऊपर छिटपुट ओलावृष्टि
हुई।दक्षिण बिहार, झारखंड के कुछ
हिस्सों, ओडिशा,
गंगीय पश्चिम
बंगाल, केरल,
मराठवाड़ा और मध्य महाराष्ट्र में
हल्की बारिश
हुई।अगले 24 घंटों के दौरान, असम,
मेघालय, अरुणाचल
प्रदेश, नागालैंड,
मणिपुर, मिजोरम
और त्रिपुरा
में हल्की
से मध्यम
बारिश और
गरज के
साथ बौछारें
पड़ने की
संभावना है।पश्चिमी
हिमालय, दक्षिण
तटीय कर्नाटक
और केरल
में हल्की
से मध्यम
बारिश संभव
है।तेलंगाना, छत्तीसगढ़, विदर्भ, दक्षिण आंतरिक
कर्नाटक, रायलसीमा,
तमिलनाडु के
कुछ हिस्सों
और बिहार,
झारखंड और
पूर्वी मध्य
प्रदेश में
एक या
दो स्थानों
पर छिटपुट
बारिश संभव
है।पंजाब में
कुछ जगहों
पर धूल
भरी आंधी,
गरज के
साथ छींटे
और हल्की
बारिश हो
सकती है।
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